Budhwar Ke Upay: जीवन की मुश्किलों से आ गए हैं तंग, तो बुधवार के दिन जरूर कर लें ये एक काम
Budhwar ke Upay, Wednesday remedies to get bless of Lord Ganesha: बुधवार का दिन भगवान गणेश को और नवग्रहों में बुध ग्रह को समर्पित माना गया है। माना जाता है कि यह दिन भगवान गणेश के साथ ही ग्रहों के राजकुमार बुध देव को खुश करने के लिए सबसे अच्छा दिन है। इसीलिए यदि बुधवार के दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से गणेश जी की प्रार्थना और उपासना की जाए, तो व्यक्ति को गणपति जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। हिन्दु शास्त्रों में गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा गया है, जिसका अर्थ है कष्टों को, दुखों को हरने वाला। यानी वह जो जीवन में आने वाले दुखों, परेशानियों और मुश्किलों को हर लेता है। यदि आप भी अपने जीवन में आने वाले संघर्षों और कष्टों से तंग आ गए हैं, तो बुधवार के दिन एक छोटा सा उपाय आपको दुखों से बाहर निकाल सकता है। हालांकि पत्रिका.कॉम इसकी पुष्टि नहीं करता है। ये लेख ज्योतिषीय और लोक मान्यताओं पर आधारित है….
आपको करना होगा बस ये एक काम, दूर हो जाएगी हर परेशानी, हर मुश्किल हो जाएगी आसान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार के दिन गणेश जी की वंदना जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से गणेश जी जल्द ही प्रसन्न होंगे और आप पर अपनी कृपा बरसाएंगे। शास्त्रों के मुताबिक किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत यदि गणेश जी के नाम के साथ की जाए, तो वे सभी कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं। व्यक्ति को सुख-समृद्धि मिलती है। इस दिन विधि पूर्वक गणेश पूजा करने के साथ-साथ, गणेश स्रोत का पाठ भी जरूर करें। माना जाता है कि गणेश स्रोत का पाठ करने से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। यहां करें गणेश स्रोत पाठ…
गणेश स्रोत पाठ…
गणेश स्तोत्रप्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
संतान गणपति स्तोत्र
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
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Source: Religion and Spirituality