UP Nikay Chunav : आसान नहीं है वाराणसी में पार्षदी की डगर, कई की जा चुकी है जान, वर्चस्व सर्वोपरि
वाराणसी। निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही काशी की सियासी फिजा गर्म हो गई है। चारों तरफ प्रत्याशी अपने पक्ष में माहौल बनाते दिखाई दे रहे हैं, तो कई स्थानों पर खींचतान भी देखने को मिल रही है। राजनीति के पुरोधाओं की मानें तो काशी में पार्षद बनने की डगर आसान नहीं है। यहां हर वार्ड में सभी जीत का दम्भ भरते दिखाई देते हैं, लेकिन काशी का इतिहास गवाह है कि यहां अक्सर पार्षदों के खून से जमीन लाल हुई है। ये हत्याएं चुनावी वर्चस्व के लिए की गईं।
2003 में तीन पार्षद हुए ढेर
चुनाव की रंजिश सबसे अधिक साल 2003 में वाराणसी में देखने को मिली जब बेनिया वार्ड से पार्षद कमाल अंसारी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी। उस समय वो नाई की दुकान के बाहर बैठे हुए थे। अल सुबह हुई इस घटना से पूरे बनारस में हड़कंप मचा गया था। बनारस से लखनऊ तक फोन घनघनाने लगे थे। इस हत्या में शामिल शातिर हसीन और आलम को पुलिस ने मौत की नींद सुलाया था, पर अपराधी और चुनावी वर्चस्व की खुनी जंग यहां नहीं रुकी और इसी साल मुकीमगंज से पार्षद रहे अनिल यादव को सिगरा स्थित फातमान रोड पर दिन-दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। वहीं रामापुरा वार्ड के पार्षद विजय वर्मा की भी इसी वर्ष हत्या कर दी गयी।
जिला जेल के गेट पर मारे गए पान दरीबा पार्षद
काशी में चुनाव को लेकर हुए खूनी संघर्ष में आंकड़ों की बात करें तो साल 2004 में पान दरीबा वार्ड के पार्षद रहे बंशी यादव को बदमाशों ने दिन-दहाड़े जिला जेल के गेट पर अपना निशाना बनाया। कहा जाता है कि बंशी यादव का भी जरायम की दुनिया से रिश्ता था। उनकी हत्या कुख्यात अपराधी अन्नू त्रिपाठी और बाबा यादव ने की थी। यह वर्चस्व की जंग यहीं नहीं रुकी और बंशी यादव के शिष्य कुख्यात संतोष गुप्ता किट्टू ने मई 2005 में वाराणसी सेंट्रल जेल में अन्नू त्रिपाठी की हत्या गोली मरकर कर दी और गुरु की मौत का बदला ले लिया। पुलिस ने 4 जून 2010 को किट्टू को भी मौत की नींद सुला दिया।
सरायनंदन सभासद की हुई हत्या
साल 2004 में भी अपराधियों के राडार पर सभासद रहे और चुनावी वर्चस्व और हार की खुन्नस में सरायनंदन इलाके के सभासद रहे मंगल प्रजापति की हत्या कर दी गई। हत्या में उसके ही करीबी बबलू लंबू का नाम सामने आया। केस शुरू हुआ और इधर बबलू लंबू सुदामपुर वार्ड से पार्षद हो गया लेकिन साल 2007 में बबलू लंबू की भी हत्या कर दी गयी।
मुन्ना बजरंगी के शूटरों ने भी एक को उड़ाया
इसी वर्ष मुन्ना बजरंगी के शूटरों ने पूर्व में उपनगर प्रमुख रहे अनिल सिंह के खास पार्षद सुरेश गुप्ता की जैतपुरा इलाके में हत्या कर दी। बाद में पता चला कि मुन्न बजरंगी के शूटर सुरेश के भाई दीना की हत्या के लिए वाराणसी आए थे पर गफलत में सुरेश की हत्या कर फरार हो गए। इस हत्या के बाद कई दिनों तक शहर में हड़कंप मचा रहा।
2006 और 2008 में भी पार्षदों का आया काल
साल 2006 में भी पार्षद पर गोली चली और हत्या हुई। इस साल पूर्वांचल की सबसे बड़ी थोक की मंडी सराय हड़हा में पार्षद मुरारी यादव पर गोलियां बरसाकर उन्हें मार दिया गया। साल 2008 में मुन्ना बजरंगी के खास और सोनारपुरा के पार्षद बाबू यादव को बृजेश सिंह के घर के पास मौत की नींद सुला दिया गया। उसे धर्मेंद्र सिंह पप्पू के गनर ने मौत की नींद सुलाया और कहा गया कि वह किसी की हत्या की फिराक में यहां आया था।
वो हत्या जिससे हिल गया था प्रदेश
वाराणसी में 3 नवंबर 2015 को लक्सा थानाक्षेत्र के रामापुरा वार्ड के लोकप्रिय सभासद शिव सेठ की हत्या कर दी गई। शिव सेठ की हत्या बदमाशों ने मंदिर से दर्शन कर वापस आते समय भेलूपुर थानाक्षेत्र के तुलसीपुर इलाके में की थी। इस घटना के बाद पूरे शहर में शिव सेठ को श्रद्धांजलि दी गयी तो उनके चाहहने वालों ने काफी विरोध किया। वहीं पुलिस ने 20 दिन के शातिरों को पकड़कर इस हत्या का खुलासा किया।
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