अल्सर से हैं परेशान? इस नेचुरल रेमेडी से पा सकते है आराम, खांसी व हार्मोन असंतुलन में भी असरदार
Licorice Root, Mulethi: मुलेठी जिसका साइंटिफिक नाम ग्ल्य्किररहिज़ा ग्लबरा (Glycyrrhiza glabra ) है और जिसे अंग्रेजी में लिकोरिस रुट (Licorice Root) कहते हैं, एक स्पाइस या जड़ी-बूटी है जिसे कई तरह से नेचुरल रेमेडी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मुलेठी को उपयोग हज़ारों साल से कई बीमारयों को दूर करने के लिए दवा के रूप में किया जाता है। इसका नाम उन चुनिंदा होम रेमेडीज में शुमार है जिनसे असरदार इलाज किया जा सकता है। शुरुआत में इसका उपयोग खांसी, डाइजेशन और कब्ज में ही किया जाता था। जैसे जैसे इसके गुण सामने आने लगे वैसे इसे अन्य शारीरिक समस्याओं के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा। आज इसका उपयोग अल्सर, अस्थमा, इन्फेक्शन और दर्द जैसी कई स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। सर्दी के मौसम में इम्युनिटी बढ़ने और खांसी और ज़ुखाम से बचने के लिए मुलेठी की चाय का सेवन किया जाता है। हालांकि कहा जाता है की इसका सेवन कम मात्रा में किया जाना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक सेवन या इसके लंबे समय तक उपयोग से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
नेशनल इंस्टीटूएस ऑफ हेल्थ में पब्लिश्ड एक आर्टिकल के अनुसार मुलेठी खांसी और बलगम निकालने के लिए असरदार औषधि है। इसमें में फ्लेवोनॉयड्स होते हैं, जिसके औषधीय लाभ भी हैं।मुलेठी में कई मेडिसिनल प्रॉपर्टीज होती हैं। यह एस्ट्रोजन, कोर्टिसोन और एल्डोस्टेरोन (estrogen, cortisone, and aldosterone) की तरह काम कर सकता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल , एंटीवायरल, एंटी-ट्राइकोमोनास और एंटी-एलर्जिक गुण भी होते हैं। मुलेठी लिवर से जुड़ी समस्याओं में भी मदद कर सकती है और इसके एंटी कैंसर इफेक्ट्स हैं। सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग मुलेठी की चाय पीते हैं। इसके अलावा टेस्ट में मीठी होने के कारण इसे मिठाई और दवाओं में भी इस्तेमाल करते हैं। यह चीनी से कहीं ज्यादा मीठा होता है और इसके कई ज़्यादा स्वास्थ्य लाभ भी है। इसमें मेडिसिनल प्रॉपर्टीज हैं जो हमारे शरीर की चर्बी कम करने, पेट के अल्सर को ठीक करने और इन्फेक्शन से लड़ने में मदद कर सकती है।
Ulcer: कई स्टडीज से पता चला है कि मुलेठी अल्सर को रोकने और इसके इलाज में सहायक है। इसका कारण है की यह पेट में बलगम के उत्पादन को बबढ़ाती है जो पेट की परत (Stomach lining) को आराम देने में मदद करती है। साथ ही यह पेट में ब्लड सप्लाई को बढ़ावा देती है जिससे बेहतर हीलिंग होती है। इसके अतिरिक्त मुलेठी शरीर में गैस्ट्रिन के उत्पादन को कम करके अल्सर को बनने से रोकती है। गैस्ट्रिन एक हार्मोन है जो पेट के एसिड के उत्पादन को ट्रिगर करता है जिससे अल्सर हो सकता है।
Immunity: इम्युनिटी बढ़ाने के लिए मुलेठी को असरदार माना गया है। कई स्टडीज में मुलेठी के वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता को टेस्ट किया गया है। रिसर्च से पता चलता है कि इसमें फाइटोकेमिकल्स (phytochemicals) वायरल रेप्लिकेशन (viral replication) को धीमा कर सकती हैं और बैक्टीरिया को बढ़ने से रोक सकती हैं। यह स्टैफिलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस और कैंडिडा अल्बिकन्स सहित कई प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ असरदार साबित हुई है। यह हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 1 (HSV-1), ह्यूमन रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (HRSV) और ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) जैसे वायरस से लड़ने में भी मदद कर सकती है।
Cough: खांसी होने पर मुलेठी की जड़ बलगम और कफ को ढीला करने में मदद कर सकती हैं, जिससे खांसी को दूर करना आसान हो जाता है। यह खांसी, गले में खराश और रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से भी राहत दिलाती है।
Anti-Inflammatory: मुलेठी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह गठिया, एलर्जी और त्वचा की जलन जैसी स्थितियों के लिए फायदेमंद है।
Hormone Balance: मुलेठी में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं जो हार्मोन के लेवल को बैलेंस करने में मदद कर सकते हैं। इससे महिलाओं को होने वाले हार्मोनल इम्बैलेंस या मेनोपॉज के लक्षणों का इलाज किया जा सकता है।
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Source: Lifestyle