fbpx

आपकी बात, राज्यपालों की भूमिका पर बार-बार सवाल क्यों उठते हैं?

केंद्र की कठपुतली है राज्यपाल
राज्यपाल केंद्र सरकार की कठपुतली होते हैं। राज्यपाल द्वारा लिए जाने वाले निर्णय केंद्र सरकार से प्रेरित होते हंै। इसके कारण विभिन्न राजनीतिक दल राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते है।
-यशिका भारद्वाज, जयपुर
………………

राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण
राज्य सरकारें राज्यपाल को केंद्र सरकार का एजेंट मानती हैं। राज्य और केंद्र में अलग-अलग दलों की सरकार होने पर राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
-शिवपाल सिंह, मेड़ता सिटी, नागौर
…………………………

राजनीतिक स्वार्थ
राज्यपाल का पद एक अत्यन्त गरिमामय संवैधानिक पद है, जिसकी गरिमा को बनाए रखना राज्यपालों सहित राजनीतिक दलों का भी कर्तव्य है। राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए ऐसे पदों का दुरुपयोग न किया जाना ही लोकतंत्र की सच्ची सेवा और संविधान के प्रति सम्मान होगा। ।
प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर
………….

निर्णय करने में पक्षपात
वैसे तो राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है, परंतु राज्यपालों की नियुक्ति राजनीतिक आधार पर होती रही है। राजनीति से संन्यास ले चुके या उम्रदराज हो चुके नेताओं ने इसे सत्ता भोगने का एक नया माध्यम बना लिया है। इसी कारण राज्यपालों के कई फैसलों में भी पक्षपात स्पष्ट दिखाई देता है।
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
……………..

राज्यपालों की भूमिका पर उठते सवाल
केंद्र सरकार राज्यपालों के नाम की सिफारिश करती हैं। राज्यपालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण वे निष्पक्ष नहीं रह पाते। विपक्षी दलों की राज्य में विपक्षी दलों की सरकारों और वहां नियुक्त राज्यपाल के बीच तकरार और विवाद होता रहता है।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
……………..

अधिकार और कर्तव्य तय किए जाएं
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र मामले में राज्यपाल-स्पीकर को गलत ठहराया है। राज्यपालों के अधिकारों व कर्तव्यों की सीमा तय करना जरूरी है। राज्यपालों की उम्र का भी ध्यान रखना चाहिए। राज्यपालों की भूमिका पर बार-बार सवाल उठना ठीक नहीं है।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
………………

राज्यपाल की मनमानी
राज्यपाल का पद संवैधानिक है। संविधान की मर्यादा में रहते हुए उसे कार्य करना होता है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे राजनीतिक पद बना दिया है। राज्यपाल की मनमानी को रोकना चाहिए।
-रामनिवास रणवा, धोलपालिया, सीकर



Source: Education