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घटनाएं बताती हैं शनि अशुभ हैं या शुभ, इन उपायों से आपको शनि देंगे शुभ फल

क्या है शनि का स्वरूप
धर्म ग्रंथों के अनुसार शनि के सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला और शरीर पर नीले रंग के वस्त्र होते हैं। इसके साथ ही उनका शरीर भी इंद्रनीलमणि के समान चमकता रहता है और गिद्ध पर ये सवार रहते हैं। इनके हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल रहते हैं।

शनि को कौन नहीं पसंद
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनि को जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी, परस्त्री गमन करने वाले, अप्राकृतिक रूप से संभोग करने वाले, झूठी गवाही देने वाले, निर्दोष लोगों को सताने वाले, साजिश रचने वाले, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करने वाले, ईश्वर के खिलाफ रहने वाले व्यक्ति, दांतों को गंदा रखने वाले, भैंस या भैसों को मारने वाले, सांप, कुत्ते और कौवों को सताने वाले पसंद नहीं हैं। ऐसा करने वाले व्यक्ति को न्यायाधीश शनि दंड जरूर देते हैं।

शनि शुभ होने के संकेत
ज्योतिषियों के अनुसार जिस व्यक्ति के लिए शनि शुभ रहते हैं वह व्यक्ति हर क्षेत्र में तरक्की करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का परेशानी नहीं आती। ऐसे व्यक्ति के बाल और नाखून मजबूत होते हैं। इसके साथ ही वह व्यक्ति न्यायप्रिय होता है, उस व्यक्ति का समाज में प्रतिष्ठा होती है।

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अशुभ शनि के लक्षण
किसी व्यक्ति के लिए शनि अशुभ हैं तो उसके प्रभाव से उसके मकान या मकान का कोई हिस्सा गिर सकता है। इसके अलावा उसका मकान क्षतिग्रस्त हो रहा है तो उसे अपनी कुंडली पर नजर डालना चाहिए। कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिकने की नौबत आ रही है तो इसके पीछे शनि का दुष्प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा शनि अशुभ रहने पर अंगों के बाल तेजी से झड़ते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होने लगता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति की समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी सामने आती है।

अशुभ शनि के उपाय
1. ॐ भैरवाय नम: मंत्र का जाप करें और भगवान भैरव की उपासना करें।
2. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
3. तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान दें।
4. कौवे को रोज रोटी खिलाएं।

5. छायादान करें यानी कटोरी में थोड़ा सा सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
6. दांत साफ रखें।
7. अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
8. ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें।

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हमेशा रखें यह सावधानी
प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में शनि हों तो कभी भी भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का दान न करें वर्ना आपके पुत्र को कष्ट मिलेगा। यदि आयु भाव में शनि हों तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में शनि रहें तो मकान न बनवाएं और न ही खरीदें। हालांकि ये उपाय शुरू करने से पहले एक बार कुंडली को किसी नजदीकी ज्योतिषी को भी दिखा लें।

शनि के विषय में प्रमुख बातें
शनि देव को यमाग्रज, छायात्मज, नीलकाय, क्रुर कुशांग, कपिलाक्ष, अकैसुबन, असितसौरी और पंगु आदि नामों से भी जाना जाता है। इनके देवता भैरव हैं और इनका रंग श्याम,नीला है। शनि का वाहन गिद्ध और भैंसा है और वायव्य दिशा पर इनका शासन है। इनकी शक्ति जादूमंत्र देखने दिखाने की शक्ति है, मंगल के साथ ये हों तो सर्वाधिक बलशाली रहते हैं। शनि मकर और कुम्भ के स्वामी हैं तो तुला में उच्च के और मेष में नीच के माने जाते हैं। इनका ग्यारहवां भाव पक्का घर माना गया है।

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Source: Dharma & Karma

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