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2.28 करोड़ खर्च कर टाइटैनिक तक पहुंचते हैं लोग, जानिए वहां तक जाना इतना महंगा और खतरनाक क्यों?

Missing Submarine Near Titanic: टाइटैनिक जहाज का डूबना समुद्र की सबसे बड़ी हादसों में एक माना जाता है। 14 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक (Titanic) अटलांटिक महासागर में एक हिमशिला से टकराकर डूब गया था। इस हादसे में 1517 लोगों की मौत हुई थी। इस हादसे के बाद टाइटैनिक की लंबे समय तक तलाश हुई। फिर इसके मलबे को 1985 में समुद्र से करीब चार किलोमीटर भीतर तलाशा गया। अब टाइटैनिक के मलबे (Titanic Wreckage) को देखने के लिए लोग भारी-भरकम खर्च कर वहां तक पनडूब्बी से जाते हैं। बीते दिनों ऐसी ही एक यात्रा पर गई ओशनगेट कंपनी की पनडूब्बी लापता हो गई। टाइटैनिक को देखने गई लापता हुई पनडूब्बी पर पांच यात्री सवार थे। इस लापता पनडूब्बी को खोजने में दुनिया भर की टीम लगी है। लेकिन अभी तक यह तलाश पूरी नहीं हो सकी है।


रविवार को लापता हुई पनडू्ब्बी, अब कुछ घंटों का बचा है ऑक्सीजन

दरअसल रविवार को टाइटैनिक के मलबे की ओर जाते समय एक पनडुब्बी लापता हो गई थी। इस लापता हुई पनडूब्बी को खोजने में अमरीकी तटरक्षक, कनाडाई सैन्य विमान, फ्रांसीसी जहाज और टेलीगाइडेड रोबोट जैसी संस्थाएं लगी हैं।

पनडूब्बी पर सवार पांच लोगों के पास अब महज कुछ घंटों का ऑक्सीजन बचा है। पनडुब्बी टाइटन को आपात स्थिति में 96 घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए डिजाइन किया गया था। जिसे पूरा होने में अब मात्र 10 घंटे का समय बाकी है। पनडूब्बी में बैठने के लिए कोई सीट भी नहीं है। लोग इसके फर्श पर बैठकर टाइटैनिक तक जाते हैं।

लापता पनडूब्बी पर कौन-कौन हैं सवार

टाइटन को देखने पनडूब्बी पर सवार लोगों में ब्रिटिश अरबपति हामिश हार्डिंग, फ्रांसीसी गोताखोर पॉल-हेनरी नार्जियोलेट, पाकिस्तानी बिजनेस टाइकून शहजादा दाऊद और उनका बेटा सुलेमान दाऊद शामिल हैं। इनके अलावा एक पायलट हैं।

इन लोगों की तलाश में बचाव अभियान 24 घंटे चल रहा है। टाइटन जहाज की तलाश कर रहे सोनार क्षमताओं वाले एक कनाडाई विमान ने बुधवार को कुछ आवाजें सुनीं, जिससे इन यात्रियों के अभी जीवित होने की संभावना जताई गई है।




काफी कीचड़, भीषण ठंडा पानी, हिलती-डूलती रहती है

टाइटैनिक एक्सपर्ट टिम मैटलिन के हवाले से बीबीसी को कहा कि “यहां धूप अंधेरा है, और भीषण ठंडा पानी है। समंदर की सतह पर कीचड़ है और ये हिलती-डुलती रहती है। उन्होंने कहा, “आप उस समय कहां है, ये पता लगाने के लिए आपके पास सिर्फ सोनर नामक चीज़ होती है। यहां तक कि रडार भी काम नहीं करता।”

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एक्सपर्ट बोले- टाइटैनिक तक जाने वाली पनडूब्बी की दीवारें मोटी होना जरूरी

एक्सपर्ट का कहना है कि टाइटैनिक तक जाने वाली पनडुब्बी की दीवारें बहुत मोटी होनी चाहिए। अटलांटिक महासागर की गहराइयों में लापता हुई पनडुब्बी टाइटन का पता लगाने के लिए अमरीका से एक खोजी सबमरीन को घटनास्थल पर भेजा जा रहा है। रिमोट से चलाई जा सकने वाली इस सबमरीन को टाइटैनिक तक पहुंचने में 48 घंटों का वक़्त लगेगा।

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पैसे वाले लोग रोमांच का अनुभव करने के लिए जाते हैं

टाइटैनिक तक पहुंचना खतरनाक इसलिए भी है कि क्योकिं वहां के पानी का बहाव काफी तेज है। साथ ही 100 साल से पानी में पड़ा टाइटैनिक के मलबे का टूटना, गिरना जारी है। अगर कोई इसके बहुत करीब जाता है तो टकरा सकता है, उलझ सकता है।

पैसे वाले लोग रोमांच का अनुभव करने के लिए यहां तक जाते हैं। यहां तक ले जाने वाली टूर कंपनी पनडूब्बी, जोखिम भरी यात्रा और अन्य खर्चों को जोड़ कर प्रति व्यक्ति 2.28 करोड़ रुपए का चार्ज करती है। अब इस लापता पनडूब्बी में सवार लोगों के बचने की उम्मीद धुंधली होती जा रही है।

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Source: National