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Neem leaves benefits आयुर्वेद में वरदान है नीम की पत्तियां, इन बीमारियों में मिलते है चौंकाने वाले फायदे

Neem leaves benefits : आयुर्वेद के अनुसार नीम की पत्तियां एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जी होती है। ये हमें प्रदूषण के साथ अन्य कीटनाशक बीमारियों से भी बचाती हैं। जानते हैं कैसे :

त्वचा रोगों में : खुजली, घमोरियां, एग्जीमा, सोराइसिस और कुष्ठ आदि त्वचा संबंधी रोगों में नीम की पत्तियों का लेप बनाकर लगाने से लाभ होता है।

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डायबिटीज में : मरीज को सुबह खाली पेट ६-७ नीम की पत्तियां व ८-१० निंबोली खानी चाहिए इससे शुगर लेवल कम होता है।

पेट के लिए : गैस, अल्सर व पेट की अन्य समस्याओं के साथ टीबी व यूरिन इंफेक्शन होने पर नीम की पत्तियों को खाली पेट चबाने से आराम मिलता है। पेट की सफाई के लिए नीम के रस का अनीमा भी दिया जाता है। बसंत ऋतु में नीम की 3-4 कोमल पत्तियां चबाने से टायफॅाइड, चेचक व पीलिया जैसे संक्रामक रोग दूर होते हैं।

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बालों के लिए : नीम की सूखी पत्तियां पीसकर मेहंदी, आंवला, रीठा, शिकाकाई में मिलाकर बालों में एक घंटा लगाकर धोने से बाल काले व मुलायम होते हैं और डेंड्रफ भी दूर होता है।

शैंपू में प्रयोग : लोहे के बर्तन में आंवला, रीठा, शिकाकाई, एलोवेरा के साथ नीम की पत्तियां १-२ रात के लिए भिगोएं। इसके बाद उबालकर, छानकर व ठंडा करके शैंपू की तरह प्रयोग करें।

तेल में प्रयोग : लोहे के बर्तन में २०० ग्राम नारियल या सरसोंं केे तेल में २ मुट्ठी नीम की पत्तियों का पेस्ट, आंवला, एलोवेरा और दानामेथी मिलाकर गर्म करें व ठंडा होने पर प्रयोग करें। हफ्ते में २ बार इस तेल से सिर में मालिश करें।

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परहेज : नीम की पत्तियों व निंबोली के उपयोग से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद कुछ न खाएं वर्ना इनका उचित लाभ नहीं मिलता।

कीटनाशक उपयोग : नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर नहाने से शरीर के कीटाणु दूर होते हैं। इन पत्तियों को फेंके नहीं, इनका पेस्ट बनाकर मुल्तानी मिट्टी, चंदन पाउडर और गुलाब जल के साथ २०-३० मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं और फिर धो लें।

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मच्छरों के लिए : एक मुट्ठी नीम की सूखी पत्तियों को गोबर के कंडे के साथ छोटे प्याले में जलाकर १५ मिनट तक धुआं करें, इस दौरान परिवार के लोग बाहर चले जाएं। बाद में खिडक़ी दरवाजे खोल दें।
डॉ. किरन गुप्ता,
नेचुरोपैथी विशेषज्ञ


डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।



Source: Health

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