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Mangla Gauri vrat 2023: मंगला गौरी व्रत से शुरू होगा सावन, नौ दिन के मां पार्वती के व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

भगवान शिव का प्रिय माह सावन 4 जुलाई मंगलवार से शुरू हो रहा है। सावन में हर सोमवार को जहां भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है, वहीं अगले दिन माता पार्वती के लिए मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस साल सावन माह की शुरुआत ही मंगला गौरी व्रत के दिन से हो रही है, महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखेंगी।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

पुरोहितों के अनुसार यह व्रत महिलाएं रखती हैं और व्रत के दिन माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। महिलाएं माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करती हैं। इससे माता पार्वती की कृपा तो प्राप्त ही होती है, महादेव भी ऐसे भक्त पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं।

काशी के पुरोहित पं. शिवम के अनुसार आम तौर पर सावन महीने में चार या पांच मंगला गौरी व्रत पड़ते हैं। लेकिन इस साल सावन के साथ मध्य में अधिकमास भी पड़ रहा है। इसलिए इस सावन महीने में 9 मंगला गौरी व्रत हैं और पवित्र सावन माह 59 दिन का है।

इस दिन है मंगला गौरी व्रत













क्रम संख्या तारीख

पहला मंगला गौरी व्रत

4 जुलाई

दूसरा मंगला गौरी व्रत

11 जुलाई

तीसरा मंगला गौरी व्रत

22 अगस्त

सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत

29 अगस्त

अधिक मास का पहला मंगला गौरी व्रत

18 जुलाई

अधिक मास का दूसरा मंगला गौरी व्रत

25 जुलाई

अधिक मास का तीसरा मंगला गौरी व्रत

1 अगस्त

अधिक मास का चौथा मंगला गौरी व्रत

8 अगस्त

अधिक मास का पांचवां मंगला गौरी व्रत

15 अगस्त

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सावन के बीच में अधिकमास

इस बार सावन के मध्य में ही अधिक मास की शुरुआत हो जाएगी। जहां सावन मंगलवार से शुरू हो रहा है, वहीं अधिक मास की भी शुरुआत भी मंगलवार से ही होगी। बाद में फिर सावन चलेगा। चार जुलाई से सावन शुरू हो रहा है, इसी दिन पहला मंगला गौरी व्रत है। इसके बाद अगला मंगला गौरी व्रत 11 जुलाई को है, तीसरा मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त को और चौथा मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त को है। बीच में अधिक मास के मंगला गौरी व्रत जुड़ जाएंगे। अधिक मास के मंगला गौरी व्रत 18 जुलाई, 25 जुलाई, 1 अगस्त, 8 अगस्त और 15 अगस्त को पड़ेंगे।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

माता पार्वती आदिशक्ति हैं। इनका मंगला गौरी व्रत रखने से महिला के पति की आयु लंबी होती है। उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इससे दांपत्य जीवन की समस्याएं भी दूर होती हैं। दांपत्य जीवन खुशहाल होता है, परिवार में सुख शांति आती है। ऐसे लोग जो संतानहीन हैं, उन्हें मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से संतान की प्राप्ति होती है।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

1. सुबह स्नान ध्यान के बाद पूजा का संकल्प लें।

2. शुभ मुहूर्त में माता गौरी और भगवान शिव की पूजा करें।

3. माता पार्वती को अक्षत, कुमकुम, फूल, माला, श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।

4. सुहाग की पिटारी, लाल चुनरी, धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें।

5. भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, गंगाजल, चंदन, फूल आदि चढ़ाएं।

6. मंगला गौरी की कथा सुनें और आरती करें।

7. माता के समक्ष अपनी मनोकामना व्यक्त कर प्रार्थना करें।

8. अगले दिन बुधवार को पारण करें।



Source: Religion and Spirituality