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Ashtami tithi- अधिक मास की अष्टमी तिथि क्यों है विशेष? जानें कब क्या करें

हिंदू केलैंडर के मुताबिक बुधवार, 26 जुलाई को अष्टमी तिथि है। अधिकमास में पडने के चलते ये अधिक मास की दुर्गाष्टमी कहलाएगी। ऐसे में इस दिन भक्त देवी मा को प्रसन्न करने के लिए शक्ति की देवी माता दुर्गा की पूजा अर्चना करेंगे। वहीं इस दिन किसी विशेष कार्य की मनोकामना के लिए व्रत भी रखेंगे। मान्यता है कि इस दिन देवी मां की पूजा समस्त भौतिक सुखों को प्रदान करती है। साथ ही सुख समृद्धि में भी देवी माता बढौतरी करतीं हैं। खास बात ये कि इस बार ये व्रत सावन के मध्य में पडने वाले अधिक मास में पड रहा है। देवी दुर्गा के इस व्रत को महिला व पुरुष दोनों ही करते हैं।

जानकारों के अनुसार यदि आप भी शक्ति की देवी मां दुर्गा को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाना चाहते हैं, तो इस दुर्गाष्टमी को देवी मां का व्रत रखने के साथ ही उनकी विधि विधान से पूजा करें। इस दौरान देवी मां के मंत्रों का जाप विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इनके जाप से सभी प्रकार के दुख व संताप दूर होना शुरु हो जाते हैं।

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हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह पडने वाली हमेशा ही विशेष मानी जाती है। वहीं ऐसे में इस बार यानि साल 2023 में श्रावण माह के बीच अधिक मास में पडने वाली ये दुर्गाष्टमी अत्यंत खास है। जिसके चलते एक ओर जहां इस दिन भ्क्त देवी माता के साथ ही भगवान शिव सहित विष्णु जी का भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, वहीं देवी दुर्गा की कृपा से यह अष्टमी बेहद शुभ फलों को प्रदान करने वाली भी है। मान्यता के अनुसार दुर्गाष्टमी का पर्व जीवन में शक्ति और सफलता को दिलाने वाला होता है। कुल मिलाकर श्रावण के अधिक मास में पड रही ये अष्टमी भक्तों को कई गुणा फल प्रदान करने वाली है।

माना जाता है कि एक ओर जहां मासिक दुर्गाष्टमी व्रत के दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने मां दुर्गा की कृपा बरसती है तो वहीं इस दिन प्रसन्न होकर मां दुर्गा के भक्तों की समस्त इच्छाएं भी पूर्ण करतीं हैं। यहां आपको ये भी जानकारी दें दी कि मां दुर्गा की पूजा के साथ इस दिन व्रत भी किया जाता है, ऐसे में जहां माता की पूजा को लेकर कुछ खास नियम हैं तो वहीं कुछ चीजों को इस दौरान वर्जित भी माना गया है।

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Ashtami tithi : क्या करें क्या न करें-
मां दुर्गा की पूजा 51 दीपक जलाकर अवश्य करें।
इस दिन किसी कन्या का अपमान न करें।
भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल न करें।
ध्यान रहे व्रत सात्विक भोजन का ही ग्रहण कर खोलें।
इसके साथ ही व्रत हमेशा देवी का प्रसाद ग्रहण कर ही खोलें।

शुभ मुहूर्त – श्रावण के अधिक माह 2023 की दुर्गाष्टमी (Ashtami tithi)
अष्टमी तिथि की शुरुआत- मंगलवार, 25 जुलाई 2023 को दोपहर 15.09 बजे से
अष्टमी तिथि का समापन-बुधवार, 26 जुलाई दोपहर 15.53 बजे तक
यहां ये भी जान लें कि उदया तिथि के अनुसार बुधवार, 26 जुलाई को ही मां आदिशक्ति की पूजा करने के अलावा अष्टमी तिथि का व्रत भी रखा जाएगा।

Ashtami tithi : देवी मां की पूजा विधि-
दुर्गा अष्टमी के दिन बह्रम मुहूर्त मेंं उठने के पश्चात सबसे पहले देवी को प्रणाम करें। अब घर की अच्छे से सफाई करके स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर आचमन के पश्चात स्वयं को शुद्ध करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दौरान मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र को पूजा घर में एक चौकी पर स्थापित करें।

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वहीं देवी मां का पूजन षोडशोपचार रुप से करें, साथ ही मां दुर्गा की पूजा में उन्हें लाल फूल और लाल वस्त्र भेंट करें। इस दौरान माता को सोलह श्रृंगार और लाल चुनरी भी अर्पित करनी चाहिए। वहीं धूप-दीप, दीपक आदि से मां दुर्गा की पूजा करने के अलावा पूजा में दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें।

इसके अलावा दुर्गा जी के मंत्र का जाप करने के साथ ही देवी मां के सामने सुख, शांति, यश, कीर्ति और वैभव की मनोकामना रखनी चाहिए। इस दिन व्रत रखना के बाद शाम के समय आरती के पश्चात फलाहार करना चाहिए। वहीं इसके अगले दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान के बाद ब्राह्मण को दक्षिणा देकर व्रत को संपन्न करें।

Ashtami tithi: देवी दुर्गा के के मंत्र-
1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ऊॅं जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3. ‘ऊॅं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चैÓ

4. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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