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Gyanvapi Mosque Case: ASI सर्वे में कैसे पता चलता है सालों पहले यहां थीं कौन सी इमारत, जानें इसका पूरा प्रोसेज

ASI Survey on Gyanvapi Case: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद पर एक बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में वजूस्थल को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों की ASI सर्वे का आदेश दिया है। दरअसल, पिछले दिनों वाराणसी जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे का आदेश दिया था। 4 अगस्त तक ASI टीम को वाराणसी जिला कोर्ट में सर्वे की रिपोर्ट पेश करनी थी।

जिला कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को ASI की टीम ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी। ज‍िसका मुस्‍ल‍िम पक्ष ने व‍िरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में सर्वे पर रोक लगाने की याच‍िका दाख‍िल की थी। कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जानने को कहा। इसके बाद मस्जिद कमेटी हाईकोर्ट पहुंची। इसी पर आज हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि न्याय हित में सर्वे कराया जाना उचित है।

ज्ञानवापी मामले में ASI सर्वे का फैसला आने के बाद कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये होता क्या है’ यह सर्वे कैसे किया जाता है।

अंग्रेजों के शासनकाल में बनी थी ASI
दरअसल, ASI मतलब है अर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी कहते हैं। ASI संस्था को अंग्रेजों के शासनकाल के समय साल 1861 में बनाया गया था। यह संस्था भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आती है। यह संस्था देश में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम करती है। ये राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का रख- रखाव, मेंटनेंस और अन्य जरूरी काम करती है। इसके अलावा, देश के किसी हिस्से में पुरातात्विक इमारतें, संरचनाएं या वस्तुएं मिलने पर भी उसकी जांच-पड़ताल ASI ही करता है।

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कैसे होता है ASI सर्वे
ASI प्राचीन धरोहर और ऐतिहासिक इमारतों से जुड़े तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए जाना जाता है। ये काम साइंटिफिक तरीके से किया जाता है। इससे किसी भी तरह की कोई गलती ना हो। इसके अलावा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक के माध्यम से सर्वे क्षेत्र के अतीत का गहराई से अध्ययन किया जाता है। यही वजह है कि इसकी विश्वसनियता भी काफी अधिक होती है।

ज्ञानवापी परिसर भी एक ऐतिहासिक इमारत है। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का सर्वे में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे कि जमीन के अंदर और बाहर का सच पता लगाया जा सके। ASI की टीम मस्जिद परिसर का सर्वे करेगी। लेकिन वजूखाने का सर्वे नहीं किया जाएगा जहां पर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था।

संस्कृति मंत्रालय करती है निगरानी
अब आपको ये भी बताते हैं कि आखिरकार ASI द्वारा किए गए सर्वे पर नजर कौन रखता है। दरअसल, ASI विभाग संस्‍कृति मंत्रालय के अधीन आता है। जब किसी ऐतिहासिक इमारत या खंडहर का ASI की टीम सर्वे करती है, तो संस्कृति मंत्रालय उस पर निगरानी रखता है। हालांकि, कुछ मामलों में जब कोर्ट के आदेश पर सर्वे होता है, तो कोर्ट भी सर्वे के मॉनिटरिंग करता है।
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Source: Education