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वायरल इंफेक्शन से भी हो सकती है रीढ़ की हड्डी में सूजन

Transverse Myelitis In Hindi: शरीर में स्पाइनल कॉर्ड की भूमिका अहम होती है। इससे पूरा शरीर कंट्रोल होता है। कई बार इसमें किसी बीमारी या अन्य समस्या के कारण चलना-फिरना बंद हो जाता है। इसमें ट्रांसवर्स माईलाइटिस भी एक प्रमुख बीमारी है। इस बीमारी के कारण स्पाइनल कॉर्ड के किसी भी हिस्से में सूजन आने से उसकी कार्यप्रणाली पूरी तरह से बाधित हो जाती है। मरीज दिव्यांग हो सकता है। उसका अपने यूरिन और स्टूल से नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो जाता है।

टीबी के कारण भी होती बीमारी
ट्रांसवर्स माईलाइटिस ( Transverse Myelitis ) के होने का स्पष्ट कारण पता नहीं चला है। यह रीढ़ की हड्डी को क्षति पहुंचाने वाले वायरल इंफेक्शन और रीढ़ की हड्डी में ब्लड सप्लाई सही न होने से भी हो सकता है। कई वायरस जैसे मीजल्स (खसरा), छोटी चिकन पॉक्स वायरस, मल्टीपल स्केलेरोसिस, न्यूरोमालाइटिस ओपटिका, मम्स आदि से भी यह समस्या हो सकती है। दूसरा प्रमुख कारण टीबी है। टीबी के संक्रमण से रीढ़ की हड्डी में सूजन आने से ट्रांसवर्स मायलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन बी-12 की कमी, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में जंगली मटर की दाल से होने वाली लेथरियाजम से भी यह बीमारी हो सकती है। एचआईवी से पीडि़त मरीजों में भी इस बीमारी की आशंका अधिक रहती है।

पैरों में तेज दर्द है लक्षण
इसमें हाथ-पैरों में कमजोरी के साथ तेज दर्द होता है। धीरे-धीरे प्रभावी हिस्से में संवेदन की कमी आने लगती है। यूरिन से कंट्रोल खत्म हो जाता है। कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है। बीमारी पैरों से शुरू होकर गर्दन तक पहुंच जाती है। वह हिस्सा अतिसंवेदनशील होता है कि अंगुली से छूने पर भी दर्द होता है। इस स्थिति को एंड्रोडाइनिया कहते हैं। इस बीमारी से शरीर के इस हिस्से में अतिसंवेदनशीलता के कारण त्वचा का तापमान परिवर्तित हो जाता है।

जांचें
इसमें एमआरआई टैस्ट ज्यादा कारगर है। जांच में देखा जाता है कि किस हिस्से में सूजन है। ब्लड टैस्ट से खून में विटामिन बी-12 की जांच होती है। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम करें। अपनी दिनचर्या सही रखें। पर्याप्त नींद लें। हरी पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल खूब खाएं। चीनी और नमक कम मात्रा में लें। तेल को गर्म करने के बाद से दोबारा इस्तेमाल करने से बचें। अगर नशा करते हैं तो छोड़ दें। तनाव से बचें। कोई दवा अपने मन से न लें।

इलाज
शुरुआती इलाज ज्यादा अहम होता है। इससे तंत्रिका तंत्र ठीक रहता है। इलाज के शुरू होने 2 से 12 हफ्तों में लाभ मिलता है। इलाज करीब दो साल चल सकता है। फिजियोथैरेपी से इसका दर्द कम करते हैं। अगर शुरू के 6 महीने में कोई सुधार नहीं होता है तो समस्या बढ़ सकती है। इसके लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।

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Source: Health

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