6 साल पहले हो गई थी पिता की मौत, 3 बेटियों की करनी थी शादी, फिर गांववालों ने जीत लिया दिल
मौलासर। जरूरतमंद परिवार की बेटियों के पीले हाथ कर उन्हें धूमधाम से विदा करने के लिए यहां एक -दो परिवार नहीं बल्कि पूरा कस्बा आगे आया। सभी ने अपनेपन का परिचय दिया और एक निर्धन परिवार की तीन बेटियों का ब्याह कराया। यह मौका सभी में खुशी भरने वाला रहा। ग्रामीणों ने यहां भोपा परिवार की तीन जरूरतमंद बेटियों को अपनाते हुए उनके हाथ पीले किए। इन तीनों बेटियों के पिता इस दुनिया में नहीं रहे। इस दृश्य ने मौलासर में शुक्रवार को मानवीय सद्भावना की बुनियाद को मानों और मजबूत कर दिया।
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जानकारी के अनुसार ग्रामीणों ने नारसिंह भोपा की 22 वर्षीय धापुड़ी, 21 वर्षीय किरण व 19 वर्षीय सरोज का जोधपुर के बावड़ी गांव निवासी चेनाराम, भोमाराम व लक्की के साथ ब्याह कराया। नारसिंह भोपा की 6 वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। टीम मिशन मानवता के प्रवक्ता राजेंद्र रेवाड़ ने बताया कि मौलासर में शुक्रवार को सामाजिक समरसता व अमीर-गरीब के बीच के अंतर को दूर करते हुए सकारात्मक दिशा में प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया गया। शादी का यह आयोजन यहां डाबड़ा रोड स्थित पकोड़ा तालाब के पास सोहननाथ दास महाराज की बगीची में हुआ।
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मदद के लिए बढ़े हाथ
महंत कमल गिरी महाराज ने शिक्षाविद् शिवराम बलारा के साथ चर्चा की। भोपा परिवार की तीनों बेटियों को गांव की बेटियां मानते हुए जन सहयोग से विवाह करने का निर्णय किया गया। यहीं से शुरुआत हुई और सभी मदद में जुट गए। सामग्री के साथ-साथ 2 लाख रुपए की नकदी एकत्र की गई। इससे तीनों बेटियों का धूमधाम से ब्याह कर दिया गया। शादी की पूरी जिम्मेदारी ली और भोपा परिवार के रहने के लिए टीन शेड का छपरा भी बनवा दिया।
कस्बेवासियों ने भरा मायरा
ब्याह में कस्बे के लोग मायरा लेकर बाबूडी भोपा के घर पहुंचे। उसे चुनरी ओढ़ाई और बहन के रूप में स्वीकार किया। यह क्षण बाबूड़ी के लिए भावपूर्ण रहें। फेरे पंडित नटवर खंडेलवाल ने कराए। भागूराम खालिया, श्रवण रेवाड़, बंशी बोचलिया, गोपाल शर्मा, मुनेश बोचलिया, ईश्वर सिंह, सतीश सांभरिया, बंटी शर्मा, संतोष शर्मा, दिलीप टाक, मनोज शर्मा, हरदयाल दहिया, पृथ्वी चाहर, मेहराम रायका, श्याम सिंह आदि जने विवाह आयोजन में जुटे रहे।
परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था
जानकारी के अनुसार डाबड़ा निवासी नारसिंह भोपा जो पिछले करीब चालीस वर्षों से मौलासर में रहकर बकरियां चराकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। नारसिंह की छह वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। तभी से परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था। नारसिंह की मौत के बाद उसकी पत्नी बाबूड़ी मजदूरी कर परिवार को पाल रही थी। नाहर सिंह के आठ संतान बताई जिनमें से चार बेटी और एक बेटे की शादी वह कर चुका था।
सगाई की, ब्याह के लिए नहीं था पैसा
बुजुर्ग बाबूड़ी ने तीनों बेटियों की सगाई तो कर दी थी, लेकिन उसके पास ब्याह करने का पैसा नहीं था। इसके कारण वक्त निकलता जा रहा था। बगीची के महंत कमल गिरी महाराज को उसने अपनी पीड़ा बयां की। यही बात ग्रामीणों को पता चली और मदद के लिए आगे आए। फिर हाथ से हाथ जुड़ा और तीनों बेटियों की शादी शादी कर दी गई।
Source: Education