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लापरवाही से बढ़ती है ट्यूमर की तकलीफ, पहचाने लक्षण

Brain Tumor: दिमाग जेली की तरह होता है। इसमें मौजूद कोशिकाओं के अनियंत्रित होने से जो गांठ बनती है उसे ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। फैलने वाले ट्यूमर से स्थिति घातक भी हो सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में :-

दो तरह का ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन ट्यूमर दो तरह का होता है पहला जो ब्रेन में ही बनता है। इसका इलाज आसान है। दूसरा लिवर, फेफड़े, पैंक्रियाज और अग्नाशय से होते हुए दिमाग तक पहुंचते हैं, जिसे मेटासिसिस ट्यूमर कहते हैं। चिंता की बात ये है कि इसका पता दूसरी या तीसरी स्टेज में चलता है। यह खतरनाक होता है।

प्रमुख लक्षण जानिए
सुबह-सुबह सिर में दर्द के साथ तेज उल्टी होना, लगातार सिर में दर्द रहना, काफी समय से उल्टी जैसा महसूस होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा भूख न लगना, चक्कर आना और सेहत दिनों-दिन गिरती जाती है। ट्यूमर का आकार बढऩे पर मिर्गी का दौरा, याददाश्त कम होना, नजर कमजोर होना, हाथों-पैरों में कंपन के साथ लडख़ड़ाहट भी इस बीमारी के लक्षण हैं। ऐसे में समय से इलाज न शुरू कराने पर और दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

बिना चीरे के होता ऑपरेशन
ब्रेन ट्यूमर में रेडियो सर्जरी की मदद से ट्यूमर को जलाकर आकार छोटा कर देते हैं। एंडोस्कोपिक सर्जरी भी कारगर है। यदि दिमाग की पीयूष ग्रंथि के पास ट्यूमर है तो नाक के रास्ते खोपड़ी के बीच में पहुंचकर हड्डी को हटाकर ट्यूमर को निकालते हैं। इस प्रक्रिया में रोगी को तीन दिन में छुट्टी मिल जाती है। इसके अलावा जीपीआरएस तकनीक की मदद से नेविगेशन सर्जरी होती है।

गर्भ में ट्यूमर की पहचान संभव
गर्भावस्था के दौरान बच्चे को ब्रेन ट्यूमर है तो इसका पता सोनोग्राफी जांच से चल जाता है। गर्भवती महिला के परिवार में ब्रेन ट्यूमर की बीमारी है या थी तो महिला को सोनोग्राफी के वक्त चिकित्सक को इसकी जानकारी जरूर देनी चाहिए। इससे गर्भस्थ शिशु की ट्यूमर की जांच हो सकेगी और एहतियातन उपाय संभव होंगे।

ऑपरेशन बाद नशे से बढ़ती है परेशानी
ऑपरेशन के बाद मरीज कोई भी नशा बिलकुन न करें। तंबाकू-सिगरेट वैसे भी सेहत के लिए ठीक नहीं होते और ट्यूूमर के मरीज के लिए तो कई परेशानियां बढ़ा सकते हैं। ऑपरेशन के बाद न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट, ऑन्को सर्जन, रेडिएशन, पैथोलॉजिस्ट का बोर्ड बनता है, जो कीमो और रेडियोथैरेपी का प्लान तय करते हैं।

ट्यूमर कहां, पता करना जरूरी
ब्रेन ट्यूमर की पहचान के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई जांच होती है। इसके अलावा स्पेक्टोस्कोपी जांच से ट्यूमर का आकार, प्रकार और दिमाग के किस हिस्से में है इसका पता चलता है। इस आधार पर न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरो सर्जन की टीम ट्रीटमेंट प्लान बनाती है।

खराब जीवनशैली प्रमुख वजह
खराब जीवनशैली से दिमाग की कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती हैं जो तेजी से गांठ के रूप में बढ़कर ब्रेन ट्यूमर बन जाती हैं। बच्चों में बे्रन ट्यूमर ज्यादातर आनुवांशिक होता है। गर्भावस्था के दौरान बार-बार रेडिएशन के प्रभाव में आने से भी बच्चे को ब्रेन ट्यूमर का खतरा रहता है।

ट्यूमर जितना बड़ा, इलाज उतना कठिन
ट्यूमर जितना बड़ा होगा इलाज उतना ही कठिन होगा। स्टेज एक और दो में बेहतर इलाज संभव है। तीसरी,चौथी स्टेज में ब्रेन को नुकसान होने की आशंका होती है। ऐसे में ट्यूमर निकालने पर मरीज की आवाज जाने, पहचान खोने, लकवा का खतरा रहता है।

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Source: Health

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