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Shradh Paksha 2023: किसी तिथि पर करना चाहिए श्राद्ध, जानिए पूरा कैलेंडर

किस तिथि को करते हैं श्राद्ध
ग्रह नक्षत्रम् ज्योतिष शोध संस्थान प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार पितृ पक्ष में पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग तिथियों पर श्राद्ध कर्म, पूजन, तर्पण आदि किया जाता है। यह श्राद्ध कर्म तीन घटकों से मिलकर बनता है पहला पिंडदान, दूसरा तर्पण और तीसरा भोजन । इसके साथ ही इस दौरान पवित्र भागवत कथा आदि कराना भी शुभ माना गया है।

ज्योतिषाचार्य वार्ष्णेय के अनुसार पूर्वज का देहावसान जिस तिथि पर हुआ होता है, उसी तिथि पर श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन अगर किसी जातक को अपने पूर्वज के देहावसान की तिथि याद न हो तो वह अश्विन मास की अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या) के दिन पितरों का श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। वहीं सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध मातृनवमी को ही करना चाहिए।

पूर्णिमा श्राद्ध यानी श्राद्धि पूर्णिमा पर किसका श्राद्ध करते हैं
पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। लेकिन यह ध्यान देना जरूरी है कि पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिए महालय श्राद्ध अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ माने गए हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।

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श्राद्ध पक्ष 2023 की तिथियां

पूर्णिमा का श्राद्ध: 29 सितम्बर
प्रतिपदा का श्राद्ध: 30 सितम्बर को दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक करें, फिर दूज का श्राद्ध करें।
दूज का श्राद्ध: 1 अक्टूबर को 9 बजकर 47 मिनट तक करें, फिर तीज का श्राद्ध करें।
तीज का श्राद्ध: 1 अक्टूबर को प्रात: 9 बजकर 48 मिनट बाद करें।
चौथ का श्राद्ध: 2 अक्टूबर

पंचमी का श्राद्ध: 3 अक्टूबर
छठ का श्राद्ध: 4 अक्टूबर
सप्तमी का श्राद्ध: 5 अक्टूबर
अष्टमी का श्राद्ध: 6 अक्टूबर
नवमी का श्राद्ध: 7 अक्टूबर

दशमी का श्राद्ध: 8 अक्टूबर को प्रात: 10 बजकर 15 मिनट बाद करें।
दशमी का श्राद्ध: 9 अक्टूबर को दोपहर 12:41 मिनट तक कर सकते हैं।
एकादशी का श्राद्ध: 10 अक्टूबर
बारस का श्राद्ध: 11 अक्टूबर

तेरस का श्राद्ध: 12 अक्टूबर
चौदस का श्राद्ध: 13 अक्टूबर
अमावस्या का श्राद्ध: 14 अक्टूबर