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Allergy Disease: एलर्जी में इम्यूनोथेरेपी से मिलता है फायदा

Allergy Disease: एलर्जी से शरीर के पांच प्रमुख हिस्से- नाक, आंख, कान, गला व स्किन प्रभावित होते हैं। इसमें नाक की एलर्जी प्रमुख है। इसमें छींक के साथ नाक से पानी आना, नाक बंद हो जाना, नाक के अंदर खुजली होती है। इसे एलर्जी राइनाइटिस कहते हैं। गले की एलर्जी होने पर खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खिचखिच और गले में दर्द की तकलीफ होती है। सांस संबंधी 80 फीसदी परेशानियां अस्थमा एलर्जी से होती हैं। इसमें सांस फूलने के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है और कई बार सांस अटकने लगती है। स्किन एलर्जी में शरीर के अलग-अलग भागों पर लाल चकत्ते पड़ने लग जाते हैं जिसे एलर्जी डर्मिटाइटिस कहते हैं। साथ इसमें त्वचा पर खुजली के साथ उसमें जलन होती है और तेजी से फैलती है। आंखों में जलन के साथ दर्द रहता है।

फूड एलर्जी में सावधानी
फूड एलर्जी आजकल आम समस्या हो गई है। इसमें कुछ लोगों को गेंहू से बने उत्पाद जैसे आटे से बनी रोटी या ब्रेड खाने पर परेशानी होने लगती है। इसी तरह दूध से बने उत्पादों को लेने के बाद उल्टी, घबराहट या बेचैनी होती है। इसको लेकर थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। किसी भी खाद्य पदार्थ के खाने या पीने से एलर्जी की समस्या है तो सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं और एलर्जी टैस्ट कराएं। बिना जांच रिपोर्ट और डर से खाना पीना नहीं छोडऩा चाहिए। इसमें की गई जल्दबाजी शरीर को कई तरह के जरूरी पोषक तत्त्वों से दूर कर देती है जिससे शरीर कमजोर होता है। जिस भी खाद्य पदार्थ के प्रयोग से गंभीर समस्या हो रही है तो डॉक्टरी सलाह पर ही छोड़ें।

ऐसे करते एलर्जी टेस्ट
एलर्जी में जांच की मदद से उस एलर्जन का पता करते हैं जो शरीर की आईजी एंटीबॉडी को प्रभावित करता है। इसको जानने के लिए सबसे पहले स्किन प्रिक टैस्ट करते हैं। इसमें एलर्जन को बॉडी पर टच करते हैं। तकलीफ होगी तो शरीर की आईजी एंटीबॉडी रिएक्ट करेगी और लाल रंग का धब्बा उस जगह बन जाएगा। त्वचा खराब है या लगातार दवा खा रहे हैं तो ये टैस्ट नहीं हो सकता है। तीन दिन दवा बंद रखने के बाद ही जांच संभव है। दूसरा ब्लड टैस्ट है जिससे एलर्जन की पहचान करते हैं। दोनों टैस्ट रिपोर्ट और मरीज की हिस्ट्री जानने के बाद उसका मिलान करते हैं। दोनों आपस में मिलते हैं तो रोगी को बचाव के लिए सलाह दी जाती है।

एलर्जी में इम्युनोथैरेपी लाभदायक
एलर्जी में इम्युनोथैरेपी इलाज का कारगर तरीका है। शरीर में इंजेक्शन या ड्रॉप की मदद से दवा पहुंचाते हैं। इससे रोगी को आराम मिलता है। इसके साथ ही जिस चीज से एलर्जी है उससे बचाव की सलाह दी जाती है। जैसे धूल से एलर्जी है और कोई काम कर रहे हैं तो मुंह पर कपड़ा बांधकर रखें। खाने पीने की किसी चीज से एलर्जी है तो उसके इस्तेमाल से बचें जिससे कोई परेशानी न हो।

होम्योपैथी
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा देते हैं। इसके बाद रोग को ठीक करने की दवाएं चलती हैं। रोगी की दिनचर्या और उसके खानपान के आधार पर भी दवाएं तय होती हैं।

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Source: Health