लंबे समय तक ज्यादा शुगर लेवल से भी कान की कोशिकाएं होतीं कमजोर
अक्सर सुनने में आता है कि कोई भी रोग यदि लंबे समय तक चले तो उसका शरीर के अन्य अंगों पर भी दुष्प्रभाव होता है। ऐसा ही कुछ डायबिटीज के साथ भी है। रक्त में ब्लड शुगर की मात्रा बढऩे से ज्यादातर नसें कमजोर पड़ऩे लगती हैं। 9-10 साल से अनियंत्रित डायबिटीज कान की सुनने की क्षमता को कमजोर कर देती है। ऐसे मरीजों में कान से जुड़ी संवेदनशील कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं।
अंदरूनी भाग पर असर
कान के 3 मुख्य भाग हैं-बाहरी, मध्य व अंदरूनी। अंदरूनी भाग में स्थित कॉक्लिया में संवेदनशील कोशिकाएं व नर्वस सिस्टम होता है। लंबे समय से चल रही अनियंत्रित डायबिटीज में ब्लड शुगर बढ़ जाती है। फिर रक्तसंचार से जुड़ी कान की ये संवेदनशील कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं जिससे सुनने में कमी आती है। ध्यान देने की बात यह है कि इस स्थिति में सुधार नहीं कर सकते, सिर्फ समस्या को गंभीर होने से रोक सकते हैं। कान की क्षमता की जांच ऑडियोमेट्री से करते हैं।
ये लक्षण दिखें तो सावधान
डयबिटीज के मरीजों (अधिक उम्र या महिलाओं में ज्यादा) को कान की किसी भी समस्या में सुनाई कम देने लगा है, शब्द सुनने व समझने में दिक्कत, टीवी-रेडियो की आवाज तेज सुनना, बातों को बार-बार दोहराने के लिए कहना जैसी स्थिति हो तो। बीपी, थायरॉइड, तेज आवाज या शोर के बीच रहने वालों और लंबे समय से कोई दवा लेने वालों में भी सुनने की क्षमता घट सकती है। समस्या बढऩे पर मरीज को सुनने की मशीन लगाते हैं। अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखें। विटामिन के इंजेक्शन व दवा से नसों को मजबूत करते हैं।
एक्सपर्ट : डॉ. तरुण ओझा, सीनियर ईएनटी एक्सपर्ट, महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज, जयपुर
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Source: Health