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Supreme Court: 26 हफ्ते के अबॉर्शन वाली याचिका खारिज, तय समय पर होगी डिलीवरी

Supreme Court on Abortion: सुप्रीम कोर्ट ने एक 27 वर्षीय विवाहिता के 26 हफ्ते के गर्भ को गिराने की मंजूरी वाली याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चा एकदम ठीक है और उसकी डिलीवरी निर्धारित समय पर ही कराई जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा, “गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से अधिक हो गई है। गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।”



सरकार को दिए निर्देश

इस मामले पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाली बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। बेंच में CJI डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार प्रसव के दौरान मदद करेगी और यदि परिजन किसी को बच्चा गोद देना चाहें तो उसमें भी सहायता करेगी।

एम्स कराई जाएगी बच्चे की डिलीवरी

सर्वोच्च अदालत याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘गर्भवती महिला को अबॉर्शन की इजाजत नहीं जा सकती है. बच्चे की दिल की धड़कन बंद करने की इजाजत नहीं दे सकते।’ अदालत ने नोट किया कि महिला और बच्चे की जान को खतरा नहीं है। महिला की प्रसव प्रक्रिया दिल्ली के एम्स अस्पताल में होगी। साथ ही इलाज का सारा खर्चा सरकार की तरफ से दिया जाएगा।

डिप्रेशन से जूझ रही महिला

बता दें कि 13 पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एम्स को महिला की स्वास्थ्य जांच का निर्देश दिया था और रिपोर्ट मांगी थी। जिसके बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था। कोर्ट ने इस मामले पर आज अपना आदेश सुनाया है। बता दें कि याचिकाकर्ता 27 वर्षीय महिला डिप्रेशन की बिमारी से जुझ रही हैं। उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल 26 सप्ताह के भूण को नष्ट करने की मांग की थी। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि वह डिप्रेशन की दवा का सेवन करती हैं जिससे बच्चे पर भी दवा का बुरा असर पड़ रहा है और वह असमान्य है।
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Source: National

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