fbpx

Shardiya Navratri Day 5: नवरात्रि के पांचवें दिन ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा, धनलाभ और संतान प्राप्ति के ये हैं मंत्र

मां का स्वरूप
धर्म ग्रंथों के अनुसार सिंह पर सवार स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिसमें देवी अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं, ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है और नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और ये कमल के आसान पर विराजमान रहती हैं । इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है।

स्कंदमाता की पूजा का मुहूर्त
1. ब्रह्म मुहूर्तः सुबह 4.43 बजे से 5.34 बजे तक
2. प्रातः संध्याः सुबह 5.08 से सुबह 6.24 बजे तक
3. अभिजित मुहूर्तः सुबह 11.43 बजे से दोपहर 12.29 बजे तक
4. विजय मुहूर्तः दोपहर 2.00 बजे से 2.45 बजे तक
5. गोधूलि मुहूर्तः शाम 5.48 से 6.13 बजे तक
6. संध्याः 5.48 से 7.04 बजे तक
7. अमृतकालः दोपहर 12.14 से 1.51 बजे तक

ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा
1. स्नान ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर गंगाजल और गोमूत्र से पूजा स्थल का शुद्धिकरण करें और पूजा आरंभ करें।
2. इसके बाद चौकी पर कपड़ा बिछाकर उस पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
3. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें।

4. उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका , सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
5. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें, वैदिक और सप्तशती मंत्रों से स्कंदमाता सहित समस्त देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें और माता के ध्यान मंत्र से उनका ध्यान करें।
6. इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
7. पंचमी तिथि के दिन मां स्कंद माता को केले का भोग जरूर लगाएं। बाद में इसमें से कुछ प्रसाद ब्राह्मण को भी दान दें। मान्यता है कि इससे बुद्धि का विकास होता है। साथ ही फूल में लाल कमल का फूल चढ़ाएं।
8. इसके बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

स्कंदमाता के मंत्रः मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है और इस मंत्र का उच्चारण कर उनका ध्यान करना चाहिए। इसके अलावा नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी एक का एक माला जाप करना चाहिए।
1. सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
2. ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

संतान प्राप्ति के लिए जपें स्कंदमाता का यह मंत्र
धर्म ग्रंथों के अनुसार पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कंदमाता हैं। इसलिए जिन व्यक्तियों को संतान नहीं होती, उन्हें माता की पूजन-अर्चन के दौरान इस सरल मंत्र को जपना चाहिए।
3. ॐ स्कन्दमात्रै नम:।

धनलाभ के लिए मंत्रः धर्म ग्रंथों के अनुसार माता करुणानिधान है, इनकी कृपा से संतान सुख के साथ सुख समृद्धि भी प्राप्त होती है। इसलिए जो व्यक्ति धन लाभ चाहता है, उसे इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
4. या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ये भी पढ़ेंः Ratangarh Mata Mandir: मध्य प्रदेश के इस माता मंदिर में होता है चमत्कार, भभूत से दूर होता है रोग

ये भी पढ़ेंः Skand Mata Mandir: पूरे देश में स्कंदमाता के सिर्फ दो मंदिर, प्राचीन मंदिर केवल एक

ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्तोत्र
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्
तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥
स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥

कवच
ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयम् पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री ह्रीं हुं ऐं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वाङ्ग में सदा पातु स्कन्दमाता पुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृते हुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्ने च वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासिताङ्गी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

ये भी पढ़ेंः 19 October ka rashifal: तुला में गोचर कर रहे सूर्य का इन पर कोप, वृषभ और कर्क के रिश्तों का होगा टेस्ट

स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मन्दिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खण्ड हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥



Source: Religion and Spirituality

You may have missed