health update: सिंगल रेपिड टेस्ट से एचआईवी और टीबी का चलेगा पता
एचआईवी और टीबी कॉमन संक्रमण हैं। एचआईवी के लक्षणों में से एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली है, जिससे रोगियों को टीबी जैसे संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है। वास्तव में, एचआईवी संक्रमित आबादी को टीबी होने का सबसे अधिक खतरा होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक एचआईवी रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर है, एक बार संक्रमित होने के बाद वे बैक्टीरिया का अच्छी तरह से सामना नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उनका टीबी जांच जरूरी होता है।
टीबी का जल्दी पता चलेगा
टीबी का टेस्ट बलगम के जीवाणु संवर्धन के जरिए किया जाता है, जिसमें लंबा समय लगता है। इस लम्बे समय वाले टेस्ट से उन रोगियों के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है, जिन्हें उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है। ऐसे में ब्लड टेस्ट बलगम की आवश्यकता से बचाता है और एचआईवी वाले रोगियों का टीबी का परीक्षण करता है। इसके लिए भी केवल 200 माइक्रोलीटर रक्त की आवश्यकता होती है, जो कि केवल कुछ बूंदें हैं। इस टेस्ट से दोनों टेस्ट की कोस्ट और टाइम दोनों को बचाया जा सकता है। इससे दोनों बीमारियों का समय से ईलाज शुरू हो जाता है।
विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण
यह टेस्ट उन विकासशील और उन देशों में बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, जहां पर टीबी से अधिक लोग संक्रमित हैं। पिछड़े हुए इलाके और वंचित कम्यूनिटी के बीच ये टेस्ट वरदान साबित हो सकता है। इन इलाकों में एचआईवी और टीबी दोनों ही तरह के संक्रमण तेजी से फैले होते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Source: Health