छठ पूजा आज से, नहाय खाय से शुरू हुआ चार दिवसीय महोत्सव, जानें भोपाल में कब क्या होगा
धार्मिक और प्राकृतिक आस्था का पर्व
भोजपुरी समाज के कुंवर प्रसाद ने बताया कि छठ पूजा का पर्व का धार्मिक और प्राकृतिक महत्व है। छठी देवी को ब्रह्माजी की मानस पुत्री कहा जाता है। उनका कहना है कि ब्रह्माजी के दाएं हाथ से पुरुष और बाएं हाथ से प्रकृति का जन्म हुआ है। इसी प्रकार प्रकृति ने अपने आप को छह भागों में बांट लिया और प्रकृति के छठवे भाग को ही षष्ठी देवी कहा गया। इस दौरान प्रकृति से उत्पन्न होने वाली वस्तुएं अरबी, अदरक, हल्दी, नींबू सहित ऋतु फलों से पूजा की जाती है। इस पर्व पर घर से घाट तक स्वच्छता का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। चार दिवसीय पूजा के लिए जरूरी पूजन सामग्री सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी का दौर शुरू हो जाएगा।
कब क्या होगा
17 नवंबर : नहाय खाय – इस दिन पवित्र स्नान के साथ छठ पूजा की तैयारियां शुरू होती हैं। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी, रोटी, अरवा चावल का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
18 नवंबर: खरना- इस दिन श्रद्धालु पूरे दिन निर्जला व्रत रखेंगे और शाम को गुड़ की खीर, घी वाली रोटी, पूजा अर्चना के बाद ग्रहण करेंगे। इस महाप्रसाद के बाद निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है।
19 नवंबर: डाला छठ- यह दिन छठ पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन सभी व्रतधारी घाटों पर पहुंचेंगे और पूजा अर्चना कर ऋतु फल, ठेकुआ पकवान, गागल नारियल आदि डलिया में रखकर कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे
20 नवंबर: पारण- चार दिवसीय छठ पूजा का समापन होगा। इस दिन सुबह सूर्योदय के समय फिर व्रतधारी सरोवरों पर पहुंचेंगे ओर ऋतु फल, पकवान सजाकर गाय के कच्चे दूध से अर्घ्य अर्पित करेंगे। इसके बाद व्रत का पारण होगा।
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रंगारंग कार्यक्रम भी होंगे
भोपाल में छठ पूजा के सामूहिक आयोजन 50 से अधिक स्थानों पर किए जाएंगे। शहर के प्रमुख घाटों के साथ कई कॉलोनियों में भी अस्थायी घाट बनाकर पूजा होगी। 19 नवंबर को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम और दीपदान होगा। भोजपुरी एकता मंच की ओर से शीतलदास की बगिया में 2100 दीपों से दीपदान किया जाएगा। इसी प्रकार खटलापुरा, पांच नंबर शिवाजी नगर आदि घाटों पर भी दीपदान और आतिशबाजी होगी।
Source: Religion and Spirituality