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जब भूकंप से तबाह हो गया था एमपी का यह शहर, जमींदोज इमारतें और लाशें देख दहल उठे थे लोग

अफगानिस्तान में गुरुवार को तेज भूकंप आया जिसका असर देश में भी देखा गया। राजधानी दिल्ली सहित देश के उत्तरी राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इससे पहले 6 नवंबर और 4 नवंबर को भी दिल्ली सहित कई राज्यों में भूकंप के झटके लगे थे। हालांकि इन झटकों से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन भूकंप का नाम सुनकर ही लोग दहल उठे।

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भूकंप के नजरिए से एमपी भी बेहद संवेदनशील है। प्रदेश के कई शहरों में भूकंप के झटके लगातार महसूस किए जाते हैं। खासतौर पर सिवनी और बडवानी में जब तब भूकंप आते रहते हैं। प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में जाना जाता जबलपुर तो ऐसे ही एक भीषण भूकंप से तबाह हो चुका था। इस विनाशकारी भूकंप की यादों से आज भी कई लोग सिहर उठते हैं।

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22 मई 1997 का यह दिन जबलपुर के लोग भुलाए नहीं भूलते। इस दिन शहर में धरती ऐसी थर्राई कि हजारों मकान धराशायी हो गए। कई लोग मौत की नींद सो गए। इस भूकंप का केन्द्र तो कोसमघाट था लेकिन बर्बादी का मंजर सबसे ज्यादा जबलपुर में दिखाई दिया था।

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भूकंप से 5 हजार मकान पूरी तरह तबाह हो गए थे। कुल 3.23 लाख मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। भूकंप से 34537 परिवार बेघर हो गए। 39 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 350 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।

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26 साल पहले सुबह सुबह आए इस भूकंप से मची तबाही की यादें लोगों को आज भी विचलित कर देती हैं। लोग मलबे के ढेर में रोते बिलखते हुए अपनों को ढूंढ रहे थे। नर्मदा बेसिन में इस भूकंप ने हलचल मचा दी थी। आज भी यहां हजारों परिवार कच्चे मकानों और झुग्गी बस्तियों में रहने को विवश हैं।

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दरअसल नर्मदा बेसिन के कारण जबलपुर भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील जिलों में शामिल है। भूकंप के बाद शहर में भूकंप रोधी भवनों के निर्माण के लिए पहल की गई हालांकि ऐसा हो नहीं सका।

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एक नजर में जबलपुर का भूकंप
-22 मई 1997 को आया था भूकंप
-39 लोगों की हुई थी मौत
-350 से ज्यादा लोग हुए घायल
-5 हजार मकान पूरी तरह बर्बाद
-3.23 लाख मकान हुए थे क्षतिग्रस्त
-34537 परिवार हुए थे बेघर

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Source: Education