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युवाओं को भी हो रहीं मानसिक बीमारियां, एेसे करें बचाव

मस्तिष्क कंप्यूटर से भी ज्यादा तेज प्रतिक्रिया देता है। इसको स्वस्थ रखने के लिए मोबाइल का प्रयोग कम करें। मस्तिष्क शरीर का एक अद्भुत अंग है। ये हमें सोचने व समझने की शक्ति देता है। ये कंप्यूटर से भी तेज प्रतिक्रिया देता है। बीपी, पल्स रेट और सांस लेने की प्रक्रिया के अलावा अन्य अंगों को भी नियंत्रित करता है। मस्तिष्क का दायां हिस्सा शरीर के बाएं भाग तथा बायां हिस्सा शरीर के दाएं भाग को नियंत्रित करता है। मस्तिष्क से जुड़ी माइग्रेन, सर्वाइकल स्पॉन्डलिसिस, ब्रेन ट्यूमर, अल्जाइमर, एटीट्यूड सिकनेस, इंजरी, मिर्गी, बे्रन हैमरेज, बे्रन स्ट्रोक और ऑटिज्म की बीमारियां होती हैं।

मस्तिष्क में 75% पानी –
पुरुष के मस्तिष्क का औसत वजन 1424 ग्राम और महिला का 1565 ग्राम होता है। इसमें 75प्रतिशत से ज्यादा पानी, 10 प्रतिशत फैट और 8 प्रतिशत प्रोटीन से बना होता है।

स्पोट्र्स एक्टिविटी जरूरी –
मस्तिष्क रोगियों को चिकित्सक की परामर्श से सुबह के समय वॉक के बजाय दौड़ना और तेज गति वाली एक्सरसाइज करना चाहिए। आउटडोर स्पोट्र्स खेलना चाहिए। इसके अलावा योग, ध्यान करना भी कारगर है।

तनाव न लें, बीपी शुगर रखें कंट्रोल –
बीपी, मधुमेह और कॉलेस्ट्रॉल के रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक की आशंका ज्यादा रहती है। अब कम उम्र के युवाओं को भी स्ट्रोक की दिक्कत हो रही है। ऐसे में तनाव न लें, लोगों के बीच रहें। ब्रेन स्ट्रोक होने पर मरीज को तीन घंटे में सिम्युलेट थैरेपी सुविधायुक्त अस्पताल में भर्ती कराएं।

जंकफूड से बचें –
जंकफूड खाने से माइग्रेन के साथ शारीरिक दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं। गलत खानपान और निष्क्रिय गतिविधि की जीवनशैली के लोगों को सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस की दिक्कत सबसे ज्यादा हो रही है। संतुलित खानपान के साथ सक्रिय स्वस्थ दिनचर्या अपनाएं।

8 घंटे रिलैक्स मोड –
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए आठ घंटे सोना, आठ घंटे आराम जरूरी है। आठ घंटे अलर्ट मोड पर काम करने से इसकी क्षमता प्रभावित नहीं होती है। फोन का प्रयोग करते समय दिमाग अलर्ट मोड पर रहता है। आठ घंटे से अधिक रहने से गुस्सा बढ़ता है।

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Source: Health