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Rajasthan : किसानों के लिए काल बनी बेमौसम बारिश, चार माह में तैयार हुई फसल 1 दिन में नष्ट, नुकसान जान चौंक जाएंगे

बाड़मेर। बिना मौसम की बारिश ने किसानों पर कहर बरपाया है। खेतों में लहलहाती फसल को देख बुने गए कई सपने चूर-चूर हो गए। खेतों में खड़ी ईसबगोल की पकी-पकाई फसल में 35 प्रतिशत तथा जीरे की कटाई के बाद सुखाने के लिए रखे बंडलों में करीब 30 प्रतिशत तक खराबा हुआ है। इससे किसानों को करीब 17 अरब का नुकसान हो गया।

 

पहले भी हुई हैं फसलें बर्बाद

 

वर्ष 2021-22 में भी बेमौसम की बारिश के चलते किसानों को बड़े स्तर पर नुकसान झेलना पड़ा। कई किसानों के खेतों में लगी जीरे की पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो गई। वहीं वर्ष 2022-23 में ओलावृष्टि व बारिश के चलते ईसबगोल की फसल खराबा हुआ। सरकार ने कम्पनी के साथ करवाई गिरदावरी में खराबा माना, लेकिन मुआवजा नहीं मिला।

 

धूल में मिली मेहनत

 

किसान बीते चार माह से खेतों में दिनरात मेहनत कर रहे हैं। वे दाना अंकूरित होने से लेकर उसके पकने तक खयाल रखते हैं। ईसबगोल के पके हुए दाने पर पानी लगते ही वह फूलकर झड़ जाता है। ऐेसे में शुक्रवार रात को हुई बारिश से किसानों को 30 से 35 प्रतिशत तक नुकसान हो गया।

 

जीरे का दाना सडऩे से होगा भाव डाउन

 

पकी हुई जीरे की फसल पर बारिश होने से उसका दाना खराब हो जाता है। उसके ऊपर का रंग काला तथा अंदर से दाना सड़ जाता है। ऐसे में यह जीरा बाजार में जाने पर किसानों को उसके भाव में नुकसान उठाना पड़ेगा।

23 प्रतिशत हुई थी अधिक बुवाईइस बार बेहतर भावों से उत्साहित किसानों ने जिले में करीब 23 प्रतिशत तक रुबी की अधिक बुवाई की। यहां 1 लाख 73 हजार 800 हैक्टेयर में जीरा तथा 1 लाख 58 हजार 5 सौ हैक्टेयर में ईसबगोल की बुवाई हुई थी। इससे किसानों को 50 अरब से अधिक आय की उम्मीद थी। मौसम के कहर के चलते करीब 20 अरब का नुकसान हो गया है।

 

यहां खराबा अधिक

 

जिले के धनाऊ, सेड़वा, धोरीमन्ना, चौहटन, गुड़ामालानी में सबसे ज्यादा फसल खराब हुई है। यहां कई खेतों में 40 प्रतिशत तक फसलें खराब हो गई। वहीं बायतु, शिव, बाटाडू तथा आस-पास के क्षेत्रों में 30 से 35 प्रतिशत तक खराबा हुआ है।

 

आदान-अनुदान की राहत नहीं

 

फसल में खराबे के बाद किसानों को राहत देने के लिए अगली बुवाई से पहले सरकार अधिकतम दो हैक्टेयर के 34 हजार रुपए आदान-अनुदान प्रदान करती है। बीते तीन वर्षों से लाखों किसानों के अरबों रुपए का आदान अनुदान बकाया है। ऐसे में किसानों को ना बीमा कम्पनी क्लेम का भुगतान कर रही है और ना ही सरकारी स्तर पर सहायता मिल पा रही है।



Source: Education