सिर की चोट में पहला एक घंटा होता है अहम
ब्रेन स्टेम दिल की धड़कन और सांस लेने की प्रक्रिया ठीक रखता है
सिर और दिमाग से जुड़ी 70 फीसदी चोटें सड़क हादसों में होती हैं। चोट लगने के बाद पहले एक घंटे अहम होते हैं जिसमें इलाज मिलना जरूरी है। दिमाग दो हिस्से में होता है और उसके बीच में झिल्ली होती है। झिल्ली के नीचे दिमाग का अहम भाग ‘ब्रेन स्टेम’ Brain stem होता है। ब्रेन स्टेम दिल की धड़कन और सांस लेने की प्रक्रिया ठीक रखता है। झिल्ली के ऊपरी हिस्से में चोट लगने से बोलने, समझने और याद्दाश्त पर असर पडऩे के साथ हाथों, पैरों के कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
तीन तरह की होती हैं सिर की चोट
सिर की चोट को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहला माइल्ड (हल्की) इसमें व्यक्ति को सामान्य चोट लगती है और कुछ दिन के इलाज के बाद आराम मिल जाता है। दूसरा मॉडरेट (मध्यम) जिसमें चोट लगने के बाद व्यक्ति का चलना-फिरना बंद हो जाता है। सीवियर (गंभीर) में रोगी की आवाज बंद होने के साथ हार्ट अटैक आ सकता है जो चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है। सिर में चोट से दिमाग में सूजन, बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कुछ मामलों में दिमाग की झिल्ली के बाहर और भीतर खून जम जाता है जिससे दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। सिर की चोट में बीपी गड़बड़ होने के साथ चक्कर आने के साथ उल्टी होने की शिकायत होती है।
घंटे के भीतर सिर की चोट में व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा देना चाहिए ताकि चोट की स्थिति पता कर डॉक्टर उसका ट्रीटमेंट प्लान कर सकें।
गोल्डन आवर ट्रीटमेंट
सड़क हादसे में सिर की चोट लगने पर दिमाग में सूजन आती है। इससे व्यक्ति की स्थिति बिगड़ सकती है। ‘गोल्डेन आवर’ ट्रीटमेंट में दवा या सर्जरी से इलाज कर पीडि़त की जान बचाने के साथ उसके अपंगता के खतरे को कम किया जाता है।
ये सावधानी बरतें
पीडि़त की सांस चेक करें। सिर में कोई नुकीली चीज घुसी है तो उसे निकालने की कोशिश न करें। इससे दिमाग को नुकसान होने के साथ ब्लड लॉस हो सकता है जिससे ब्रेन हैमरेज होने की आशंका बढ़ जाती है। सिर से लगातार खून बह रहा है तो उसे साफ कपड़े से रोकें।
बच्चों का रखें खास खयाल
बच्चों को सिर में चोट खेलते वक्त या या ऊंचाई से गिरने की वजह से अधिक लगती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चों का खास ध्यान रखना चाहिए जिससे उन्हें किसी तरह की हेड इंजरी न हो।
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Source: Health