Ramadan Special: 14 साल की उम्र में कुरआन को हुबहू याद कर पढ़ाई तरावीह, बच्चे भी रोजे रखकर खुदा की इबादत में मशगूल
जयपुर। रमजान ( Ramadan 2024 ) का पाक महीना चल रहा है। रोजे और इबादतों के चलते यह महीना मुस्लिम समाज के लिए सबसे खास हो जाता है। बच्चे, जवान, बुजुर्ग और महिलाएं सभी इस दौरान रोजे रखकर खुदा की इबादत में मशगूल हैं। इस महीने में एक खास नमाज भी होती है, जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है। कुरआन पाक को हुबहू याद कर लेने वाला व्यक्ति जिसे हाफिज कहा जाता है। वह इस नमाज को अदा कराता है। शहर में महज 14 साल के बच्चे ने भी हाफिज बनकर इस रमजान में तरावीह की नमाज अदा करवाई है।
दीन और दुनिया साथ-साथ
रामगंज इलाके के काजी जी का चौक में रहने वाले अब्दुल रशीद ने बताया कि उनके बेटे अकदस अहमद ने मनिहारों की मस्जिद से महज सवा साल की मेहनत के बाद कुरआन को हिफ्ज ( मोखिक याद ) कर लिया है। इस रमजान में कांवटियों की पीपली स्थित सराय मेवाती बिसायतियान वाली मस्जिद में अकदस ने तरावीह की नमाज अदा करवाई है। पिता अब्दुल रशीद ने बताया कि दीन की पढ़ाई के साथ-साथ अकदस की दुनियावी पढ़ाई भी जारी है। 8वीं कक्षा का छात्र अकदस स्कूली पढ़ाई में भी काफी होशियार है।
इधर, बच्चे रोजे रखने में भी आगे…
इनदिनों माहे रमजान में बड़ों के साथ-साथ छोटी उम्र के बच्चे भी रोजे रखकर दिनभर भूखे-प्यासे रहते हैं। इस दौरान वह घरवालों के साथ सूरज निकलने से पहले जागकर सेहरी करते हैं और बकायदा पूरा दिन घरवालों की तरह इबादतों में गुजारते हैं।
एमडी रोड स्थित खरबूजा मंडी के रहने वाले मोहम्मद इरशाद, मोहम्मद हसनैन, अयान, हुमैरा और जीशान ने भी रोजे रखे। इमरान खान ने बताया कि सभी बच्चे सेहरी में ही उठ जाते हैं और सेहरी खाने के बाद नमाज पढ़ते हैं। इसी तरह दिनभर इबादत में गुजारते हैं। फिरोज खान ने बताया कि घर के कई बच्चों की परीक्षा हो चुकी है। ऐसे में बच्चों का रोजे रखना कम मुश्किल हो गया है। छोटे बच्चों की सेहत को देखते हुए कुछ दिन के अंतर से ही इन्हें रोजे रखावाए जा रहे हैं। ताकि इनकी आदत भी बने और सेहत को लेकर कोई नुकसान न हो।
सात साल की बच्ची रिदा ने भी रखा रोजा
रामगढ़ मोड़ निवासी अबरार अहमद और फर्रुख तबस्सुम की सात साल की बेटी रिदा शैख ने भी अपना पहला रोजा रखा। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली रिदा ने कहा कि रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं। इसलिए मैंने रोजा रखा है। पिता अबरार अहमद ने बताया कि हम लोगों ने रिदा को बड़ी होने पर रोजा रखने की सलाह दी, लेकिन उसकी जिद के बाद घर वाले भी रिदा के रोजा रखने की बात मान गए।
Source: Education