सेहतनामा- हाथ-पैर कांपते हैं, धीरे चलते हैं तो रहें सतर्क:क्या है पार्किंसन्स, जिससे 1 करोड़ 17 लाख लोग प्रभावित; इसके कारण और बचाव के उपाय
आज वर्ल्ड पार्किंसन्स डे है। साइंस जर्नल फ्रंटियर्स के मुताबिक, साल 2021 में पूरी दुनिया में 117 लाख 70 हजार लोगों को पार्किंसन्स था। अनुमान है कि 2050 तक पेशेंट्स की संख्या दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 252 लाख के करीब हो सकती है। पार्किंसन्स बीमारी एक उम्र संबंधी ब्रेन डिजीज है, जिसमें ब्रेन के कुछ हिस्से बहुत कमजोर या डैमेज हो जाते हैं। इसके कारण आमतौर पर लोग बहुत धीरे चलने-फिरने लगते हैं। उनके हाथ, पैर और सिर कांपने लगते हैं। इसके अलावा बैलेंसिंग की भी समस्या हो सकती है। ज्यादातर मामलों में इसका कोई स्पष्ट कारण पता नहीं है। हालांकि, कुछ मामलों में देखा गया है कि यह अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है। इसका कोई स्थाई इलाज नहीं उपलब्ध है। इसके बावजूद अगर समय पर इलाज मिले तो इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज पार्किंसन्स की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- पार्किंसन्स क्या है? पार्किंसन्स ऐसी कंडीशन है, जिसमें ब्रेन का कुछ हिस्सा धीरे-धीरे डैमेज हो जाता है। इसके लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे गंभीर हो जाते हैं। इसके कारण मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है, याददाश्त भी कमजोर होने लगती है। समय पर इलाज मिलने से लक्षणों को गंभीर होने से रोका जा सकता है। पार्किंसन्स के लक्षण क्या हैं? पार्किंसन्स के लक्षण मुख्य रूप से मांसपेशियों के नियंत्रण से जुड़े होते हैं, लेकिन इसके अलावा कई अन्य शारीरिक और मानसिक प्रभाव भी हो सकते हैं। इस बीमारी के लक्षणों को मोटर (मूवमेंट से संबंधित) और नॉन-मोटर (जो मूवमेंट से नहीं जुड़े)- दो ग्रुप में बांटा जा सकता है। पार्किंसन्स क्यों होता है? पार्किंसन्स डिजीज मुख्य रूप से ब्रेन में एक खास केमिकल डोपामिन की कमी के कारण होता है। यह केमिकल ब्रेन में स्ट्रायटम नामक हिस्से में होता है, जो मसल्स पर कंट्रोल और उसकी गति को नियंत्रित करता है। जब ब्रेन के इस हिस्से की सेल्स डैमेज होने लगती हैं या कमजोर होने लगती हैं तो पार्किंसन्स के लक्षण उभरते हैं। पार्किंसन्स के मुख्य कारण: जेनेटिक: पार्किंसन्स डिजीज कुछ मामलों में जेनेटिक हो सकती है। इसका मतलब है कि अगर किसी के परिवार में किसी को पार्किंसन्स है तो उस व्यक्ति को इसका खतरा दूसरों की अपेक्षा ज्यादा होता है। हालांकि, यह केवल 10% मामलों में ही अनुवांशिक होता है। आईडियोपैथिक (अज्ञात कारण): ज्यादातर पार्किंसन्स मामलों का कारण पता नहीं चलता है। ऐसे सभी मामलों को आईडियोपैथिक पार्किंसन्स कहा जाता है, जिसका मतलब है कि इस बीमारी का कारण स्पष्ट नहीं है। एनवार्यनमेंटल कारण: कुछ मामलों में पेस्टिसाइड्स जैसे केमिकल्स के कारण भी पार्किंसन्स हो सकता है। इसके अलावा कार्बन मोनोऑक्साइड और कुछ पॉइजन्स के संपर्क में आने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। दवाइयां और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स: कुछ दवाइयां- जैसे मेंटल हेल्थ की दवाएं भी पार्किंसन्स जैसी कंडीशन की वजह बन सकती हैं। इसे पार्किंसोनिज्म कहा जाता है। ये प्रभाव अस्थायी हो सकते हैं, जो दवाइयां बंद करने पर ठीक हो जाते हैं। मस्तिष्क में सूजन: मस्तिष्क में सूजन, जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है। इसके कारण भी कभी-कभी पार्किंसन्स के लक्षण उभर सकते हैं। सिर पर चोट: किसी खेल के दौरान या किसी एक्सिडेंट के कारण सिर पर चोट लगने से भी पार्किंसन्स हो सकता है। इसे पोस्ट-ट्रॉमैटिक पार्किंसोनिज्म कहा जाता है। पार्किंसन्स है तो किस तरह की एक्सरसाइज मदद करेंगी? पार्किंसन्स डिजीज में फिजिकल एक्टिविटीज और एक्सरसाइज का बहुत महत्व होता है क्योंकि इससे मसल्स मजबूत होती हैं, स्पीड सुधरती है और बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है। ये एक्सरसाइज और टिप्स पार्किंसन्स पेशेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकती हैं: वॉकिंग एक्सरसाइज: योग करें: स्ट्रेचिंग से बढ़ेगी मसल्स की ताकत: पार्किंसन्स में सेफ्टी के लिए बरतें ये सावधानियां: पार्किंसन्स है तो पहनें इलास्टिक वाले कपड़े पार्किंसन्स में किस तरह का खानपान जरूरी है? पार्किंसन्स में सही डाइट का बहुत महत्व होता है क्योंकि यह बीमारी ब्रेन और नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। सही डाइट से इस कंडीशन को बेहतर ढंग से डील किया जा सकता है। 10 टिप्स- …………………….
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Source: Lifestyle