डिसीजन ऑन द स्पॉट: कलेक्टर के दरबार में, न्याय और सजा दोनों मुकर्रर
भोपाल। शिकायतों से अटी पड़ी सीएम हैल्प लाइन ( CM helpline ) को आखिरकार बमुश्किल कुछ राहत मिलने के आसार सामने आए हैं। ऐसा ही एक प्रयास विदिशा कलेक्टर का सामने आया है। जहां कलेक्टर की सख्ती ने अधिकारियों को जल्द से जल्द समस्याएं सुलझाने के लिए मजबूर कर दिया है। इतना ही नहीं यहां तक की विदिशा कलेक्टर ने गलत जवाब देने वाले अधिकारियों के 15-15 दिन के वेतन काटने के निर्देश भी दे दिए हैं।
दरअसल सीएम हेल्पलाइन में साल-डेढ़ साल से लटकी शिकायतों में अधिकारियों के रवैये और शिकायतकर्ताओं के दर-दर भटकने को भांपते हुए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जब लंबित शिकायतों के मामले तलब किए तो संवेदनहीनता की पराकाष्ठा सामने आई।
अधिकारियों के इस रवैये पर कलेक्टर बुरी तरह भड़क उठे। उन्होंने कुछ मामलों के मौके पर ही समाधान कराए और लम्बे समय तक मामले लटकाए रखने या गलत जवाब देने वाले अधिकारियों के 15-15 दिन के वेतन काटने के निर्देश दिए।
शिकायतकर्ताओं को न्याय दिलाने के साथ ही कलेक्टर लापरवाह अधिकारियों को सजा देना भी नहीं भूले। उन्होंने अधिकारियों के रवैये से दुखी होकर यहां तक कहा कि-यह संवेदनहीनता का चरम है।
ये मत भूलो कि हम भी कभी रिटायर होंगे और यही रवैया रहा तो हमारे बीबी-बच्चे भी इस तरह दर-दर भटकेंगे। ऐसे समझिए सीएम हेल्पलाइन से संबंधित कलेक्टर के सामने शिकायतों, उस पर अधिकारियों के जवाब और कलेक्टर की फटकार…
कलेक्टर ने किया तलब तब एक वर्ष बाद लिखा पत्र
शिकायतकर्ता: एमसी शर्मा, व्याख्याता उत्कृष्ट विद्यालय गंजबासौदा…
शिकायत: सीएम हेल्पलाइन में शिकायत 6 नवम्बर 2018 को…
शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को बताया कि मैंने शासकीय आदेश पर वच्र्यूअल क्लास मेें 2013-14 और 14-15 में पढ़ाया था। मेरा करीब 7800 रुपए मानदेय बना, लेकिन भुगतान आज तक नहीं हुआ। पूर्व में भी शिकायत की थी, लेकिन यह कहकर मामला बंद कर दिया गया कि हम भुगतान कर चुके हैं।
अब मुझ पर दबाव बनाया जा रहा है। इस पर कलेक्टर सिंह ने डीइओ एसपी त्रिपाठी को तलब किया। वे कक्ष में नहीं थे। फोन लगाया तो त्रिपाठी ने फोन भी नहीं उठाया। इस पर कलेक्टर भड़क उठे। एसडीएम आरती यादव से कहा कि आप जाएं डीइओ को अपनी गाड़ी में बैठाकर लाएं और उनके ऑफिस में ताला डाल दें। यादव चल दीं, लेकिन रास्ते में ही डीइओ मिले तो उन्हें ले कर आईं। कलेक्टर ने डीइओ को फटकारा तो उन्होंने क्षमा मांग ली।
कलेक्टर ने केस के बारे में पूछा तो डीइओ का जवाब था कि ये राशि नरोन्हा अकादमी भोपाल से मिलती है। कलेक्टर ने पूछा आपने शिकायतकर्ता को बताया। डीइओ बोले-शिकायकर्तामथुरा-वृन्दावन में हैं। जबकि शिकायतकर्ता कलेक्टर के सामने ही बैठे थे।
कलेक्टर ने डीइओ से पूछा कि आपने विभाग को लिखा तो डीइओ का जवाब था कि आज ही लिखा है। गलती हो गई। कलेक्टर ने किसी भी मद से शिकायतकर्ता को उसकी लंबित राशि का भुगतान आज ही करने को दिए और यह भी कहा कि यदि भुगतान अब भी न हो तो मेरे पास चले आना।
केस-2 : आवास योजना की शिकायत, छात्रवृत्ति का जवाब…
शिकायतकर्ता: मोनिका अहिरवार, छात्रा, शिकायतकर्ता नहीं आ सकीं।
इस केस में बताया गया कि मोनिका अहिवार ने आवास सहायता योजना के 12 हजार रुपए भुगतान के लिए 6 नवम्बर 2018 को यह शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की थी। जवाब में कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य ने जवाब दिया कि छात्रा शिकायत के निराकरण से संतुष्ट है। उससे शिकायत वापस लेने के लिए कहा गया है।
यह भी कहा गया कि छात्रा को छात्रवृत्ति का भुगतान किया जा चुका है। जबकि छात्रा को अब तक राशि का भुगतान हुआ ही नहीं था। आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी ने बजट की अनुपलब्धता बताई और कहा कि शासन से बजट मांगा है। यहां कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य ने हेल्पलाइन में गलत जवाब दिया। कॉलेज की तत्कालीन प्राचार्य डॉ. रेखा बरेठिया और मौजूदा प्राचार्य डॉ मंजू जैन को नोटिस जारी करने के आदेश कलेक्टर ने दिए।
केस-3 : पांच माह तक आइडी तक नहीं दी…
शिकायतकर्ता लक्ष्मी तिवारी त्योंदा: स्वास्थ्य विभाग से संबंधित इस शिकायत मेें कहा गया कि एएनएम ने आरसीएच पोर्टल पर काम करने के लिए अपनी आइडी मांगी थी, लेकिन आइडी तक नहीं दी गई, जिससे वह विभागीय कार्य नहीं कर पा रही हैं।
इसके बाद यह शिकायत 31 जुलाई 2019 को सीएम हेल्पलाइन में की गई। इस पर कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह बिफर गए। वे बार-बार बोले कि इस तरह की कार्यशैली स्वास्थ्य विभाग पर कलंक है। सीएमएचओ आइडी तक नहीं दे पा रहे। उन्होंने तत्काल संबंधित डॉक्टर का नाम पूछा।
सीएमएचओ ने त्योंदा के डॉ. अलोकेश रघुवंशी का नाम बताया। कलेक्टर गुस्से में बोले-इस भारी लापरवाही के लिए डॉॅ. लोकेश रघुवंशी का एक माह का वेतन काटा जाए। अब भी यह रवैया नहीं सुधरा तो अगले चरण में जेल भेजूंगा।
केस-4 : टीबी मरीज को दिया शर्मनाक जवाब…
शिकायतकर्ता तखतसिंह साहू: इन्होंने अपनी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में 30 सितम्बर 2018 को की थी। शिकायत में कहा था कि मैं टीबी का मरीज था, अब ठीक हो चुका हूं। शासन से नियमानुसार 500 रुपए हर माह दिए जाते हैं, लेकिन आज तक राशि नहीं मिली। इस पर विभाग ने जवाब दिए उनमें यह कहा गया कि संबंधित अधिकारी से संपर्क करें।
फिर सीएमएचओ की आइडी से जवाब आया कि जिला क्षय अधिकारी से संपर्क करें, अन्यथा शिकायत बंद कर दी जाएगी, जिसके जिम्मेदार आप होंगे। इस जवाब को सुनकर कलेक्टर और एडीएम सन्न रह गए। कलेक्टर बोले- सीएमएचओ क्या जवाब है ये? कितना घटिया जवाब है। जिला क्षय अधिकारी डॉ पुनीत माहेश्वरी ने कहा कि मेरे पास शिकायत नहीं आई।
कलेक्टर ने तमतमाते हुए डॉ पुनीत माहेश्वरी का 15 दिन का वेतन काटकर उसमें से ही हितग्राही को राशि भुगतान करने और शेष राशि सरकारी खजाने में जमा कराने के आदेश दिए। उन्होंने शिकायतकर्ता से भी कहा कि यदि दो दिन में पैसा खाते में नहीं आए तो मेरे पास आना।
केस-5 : तहसील ऑफिस से गायब हो गए खसरा खतौनी…
शिकायतकर्ता: देवीसिंह ग्यारसपुर
इस केस में शिकायतकर्ता ने 26 सितम्बर 2018 को सीएम हेल्पलाइन में खसरा-खतौनी की नकल के लिए आवेदन किया था, लेनि आज तक नकल नहीं मिली। इस मामले में ग्यारसपुर तहसीलदार ने जवाब दिया कि पुराने रीडर ने इनका प्रकरण गुमा दिया है। कलेक्टर ने कहा कि ये तो बड़ी अजीब स्थिति है। रीडर रिटायर्ड हो गए तो उन पर नामजद केस दर्ज कराएं। शिकायतकर्ता से फिर आवेदन लेकर उसका निराकरण करें। तहसीलदार ने बताया कि रीडर के खिलाफ थाने में आवेदन दिया है। कलेक्टर बोले- एफआइआर कराएं।
केस-6: दो साल पहले रिटायर, अधूरी राशि मिली…
शिकायतकर्ता सुमित शर्मा ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी कि उनकी मां इंदिरा शर्मा नवम्बर 2017 में रिटायर हो गईं, लेकिन उनके अवकाश नकदीकरण की राशि आज तक नहीं मिली। इस पर महिला बाल विकास अधिकारी बृजेश शिवहरे ने जवाब दिया कि-बिल लगाए थे, लेकिन कोषालय ने आपत्ति लगा दी।
कलेक्टर ने पूछा आपत्ति का निराकरण कब किया। शिवहरे बोले- एक वर्ष बाद सीडीपीओ ने आपत्ति का निराकरण किया। सीडीपीओ का जवाब था कि मैं तो अभी नई आई हूं। इस पर कलेक्टर ने एसडीएम प्रवीण प्रजापति को निर्देश दिए कि पूरे प्रकरण की जांच कर जिस अधिकारी की लापरवाही सामने आए उसका 15 दिन का वेतन काटें। जिला कोषालय अधिकारी को भी जांच के निर्देश दिए।
केस-7 : तीन साल पहले पटवारी की मौत, परिवार पैसों के लिए भटक रहा…
शिकायतकर्ता कांतिबाई मीणा लटेरी ने ये शिकायत 18 सितम्बर 2018 को सीएम हेल्पलाइन में की थी। पटवारी हुकुमसिंह की विधवा कांतिबाई और पुत्री नीलम मीणा कलेक्टर के सामने थे। कलेक्टर ने एसडीएम से पूछा कि एक साल में क्या किया? जवाब मिला केस बनाकर भेजा है। कलेक्टर बोले- एसडीएम क्या कह रहे हो। गुमराह मत करो। ये बताओ इतने दिन केस क्यों लटकाया।
कोषालय अधिकारी बोले- मुझसे तो चर्चा तक नहीं की। तहसीलदार बोले- टे्रजरी की आपत्ति लगी थी, 15 मईको आपत्ति का निराकरण कर भेजा तब से जिला पेंशन अधिकारी के पास हैकेस। कलेक्टर झल्ला उठे- क्यों पेंडिंग है, इतने दिन क्यों लेट हुआ, संबंधित का 15 दिन का वेतन काटो, ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे। उन्होंने शिकायतकर्ता कांतिबाई और उनकी पुत्री से कहा कि यदि सात दिन में पैसा नहीं मिले तो फिर यहां आना और मेरे दरवाजे पर हंगामा करना, देखता हूं कैसे भुगतान नहीं होता।
सी केस में लंबित अनुकम्पा नियुक्ति एडीएम वृन्दावन सिंह ने 8 दिन में करने के निर्देश दिए। इस प्रकरण में अधिकारियों के रवैये ने कलेक्टर को झकझोर दिया। वे बोले ये संवेदनहीनता का चरम है। यह तो हमारे विभाग का ही मामला है। मत भूलो कि हम लोग भी रिटायर्ड होंगे और यही रवैया रहा तो हमारे बीबी बच्चे भी यूं ही दर-दर भटकेंगे। हद हो गई, आदमी को मरे हुए 3 साल हो गए, उसकी पेंशन, ग्रेच्यूटी और अनुकम्पा नियुक्ति कुछ नहीं मिली।
Source: Education