यूनानी नुस्खा: जोड़ों के दर्द व खांसी-खराश में फायदेमंद है घी क्वार का हलवा
Unani Nuskhe: एलोवेरा काे पुराने समय से ही स्वास्थ के लिए हितकर माना गया । अायुर्वेद में घृतकुमारी के नाम से प्रचलित एलोवेरा विटामिन्स, एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर हाेता है, जो शरीर को स्वस्थ बनाते हैं। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अायुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा में भी एलाेविरा का बहुत महत्व है। बदन दर्द व शारीरिक कमजाेरी दूर करने के लिए यूनानी चिकित्सा में घी क्वार हलवा बहुत प्रचलित है। आइए जानते हैं इसे बनाने की विधि व फायदाें के बारे में:-
सामग्री : घी क्वार का गूदा 700 ग्राम, खजूर एक किग्रा., खोया 700 ग्राम, मैदा 200 ग्राम, देसी घी 400 ग्राम, शक्कर 2 किग्रा., असगर नागौरी 10 ग्राम, दालमखनी 5 ग्राम, तज के पत्ते 5 ग्राम, इलायची-लौंग 10 ग्राम, दालचीनी 10 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम, साल मिश्री 10 ग्राम, सतावर 10 ग्राम, बादाम 40 ग्राम, अखरोट 80 ग्राम, सफेद व काली मूसली 20 ग्राम।
बनाने की विधि – कढ़ाही में देसी घी गर्म कर मैदा, घी क्वार के गूदे और खजूर को डालकर हल्का भूनेें। इसके बाद यह सामग्री मिक्सी में डालकर अच्छी तरह से पीस लें। सभी सामग्री कढ़ाही में डालें और दोबारा धीमी आंच पर करीब १५ मिनट तक चलाते रहें। इसके बाद हलवा बनकर तैयार हो जाएगा।
ऐसे करें प्रयोग
घी क्वार हलवे को सर्दी भर हर किसी को खाना चाहिए। वयस्क को 12-25 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेना चाहिए जबकि बच्चों को 5 -7 ग्राम की मात्रा में देना चाहिए। इस हलवे के सेवन से कुछ ही दिनाें में आपकाे फायदा नजर आने लगेगा। अस्थमा, कफ में मिलता आराम
यूनानी चिकित्सा में घी क्वार (एलोवेरा) के हलवे का महत्त्व है। यह याद्दाश्त ठीक रखता है। जोड़ों व शरीर में दर्द, शरीर में अकड़न में आराम मिलता है। इसे खाने से सर्दी नहीं लगती है। नियमित घी क्वार का हलवा खाने से खांसी, खराश, अस्थमा, कफ में आराम देता है। कफ मल के रास्ते बाहर निकलता है। पाचन ठीक रहता है।
Source: Health