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क्या आप उनको 'ना' नहीं कह पाते जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं

कुछ करना है या नहीं करना है इसके नफा-नुकसान का विचार तो करते हैं लेकिन अक्सर उसमें शरीर का योगदान शून्य मानते हैं। क्या आपकी आदतें भी ऐसे कामों को ‘हां’ कहने की है जो सेहत पर भारी और जिंदगी में तनाव भरने वाले हैं? नीचे दिए सवालों के जवाब देकर जानिए अपना हाल-

1. आप कोई भी फैसला लेने से पहले उसके परिणाम का डर मन में रखते हैं?
अ: हां, कई बार ऐसा अनुभव होता हैं।
ब: नहीं, मेरा आत्मविश्वास डर से उबरने में मदद करता है।

2. इमोशनल प्रेशर और जिम्मेदारियों का बोझ ‘हां’ कहने पर मजबूर करता है ?
अ: हां, जिम्मेदारियां तो उठानी पड़ती है।
ब: नहीं, मुझमें ‘ना’ कहने का साहस है।

3. सेहत, आदतों और उनमें बदलाव को लेकर पॉजिटिव फैसला लेने में संकोच होता है?
अ: हां, कई चीजे हमारे हाथ में नहीं होती।
ब: नहीं, मैं अपने दम पर भरपूर कोशिश करता/करती हूं

4. कई बार हां/ना में आपकी प्राथमिकताओं में स्वास्थ्य आखिर में आता है?
अ: कभी-कभार ऐसा होता है।
ब: अपने तन-मन की शक्ति का पता है।

5. आप रिश्तों-सेहत को अलग करके नहीं देख पाते और फैसला लेने में गड़बड़ कर जाते हैं?
अ: हां, कई बार प्रायोरिटीज को लेकर उलझन हो जाती है।
ब: नहीं, मैं पॉजिटिव सोच के साथ बैलेंस बनाने की कोशिश करता/करती हूं।

6. कोई सेहत और क्षमता के बाहर काम करने को कहे तो आप लालचवश मान जाते हैं?
अ: हां, ऐसा नहीं करेंगे तो प्रोफेशनल कमिटमेंट पूरी नहीं हो सकेगी।
ब: नहीं, मेरे लिए खुद के प्रति कमिटमेंट ज्यादा जरूरी है।

7. आपके फैसलों में बहुत बार ‘हां’ खर्च बचाने वाली और सेहत को टालने वाली होती है?
अ: कई बार मजबूरन ‘हां’ कहना पड़ता है।
ब: ‘प्रिकाशन इज बेटर दैन द क्योर’ में यकीन।

स्कोर और एनालिसिस –
आपको ‘ना’ कहना सीखना होगा: यदि आपका स्कोर है 5 या उससे कम अंक तो आपको सही मायनों में ‘ना’ कहना सीखना होगा। अपनी समझ बढ़ाइए क्योंकि हर ‘ना’ नेगेटिव नहीं होती, कुछ ‘ना’ वाले फैसले आगे चलकर बड़े फायदेमंद साबित होते हैं और हैल्थ के मामलों में तो ऐसा अक्सर होता है। ‘ना’ का ‘मना’ शब्द का अर्थ न देकर उसे ‘अनुशासन’ या ‘संयम’ के साथ जोड़िए।

आपमें ‘ना’ कहने का साहस है: 5 या उससे ज्यादा यदि यह आपका स्कोर है तो आप ऐसे साहसी इंसान हैं जिनमें अपने फैसलों के पीछे आत्म-विश्वास है। यही आत्म-विश्वास आपको ‘ना’ कहने का साहस देता है। आपके अंदर ‘ना’ कहने ऐसी आदत है जो व्यक्तित्व को भी निखारती है। शायद, इसीलिए लोग आपको स्पष्टवादी और ईमानदार कहते हैं। अपनी ‘ना’ के साथ बने रहिए।



Source: Health