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शरीर में खून की अधिक मात्रा से भी हो सकती हैं बीमारियां

इस बीमारी में रक्त बेहद गाढ़ा हो जाता है। समय पर चिकित्सा न हो तो रक्त के छोटे-छोटे थक्के बनकर हार्ट, ब्रेन में अटक कर हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक का कारण ब बन सकते हैं।

रक्ताल्पता की बीमारी यानी एनीमिया का नाम तो आपने खूब सुना होगा लेकिन शरीर में रक्त की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ना भी एक बीमारी है, जिसका नाम है पोलीसाइथिमिया। आमतौर पर पुरुषों में हीमोग्लोबिन की मात्रा 15-16 (अधिकतम 18.5) और महिलाओं में 14-15 (अधिकतम सीमा 16.5) होती है। लेकिन यह अधिकतम सीमा से भी ज्यादा हो, तो समझ लें कि व्यक्ति पोलीसाइथिमिया का मरीज है।

कारण –
बोनमैरो यानी अस्थिमज्जा में रक्त बनने की विधि में गड़बड़ी होने के कारण हीमोग्लोबिन बढ़ने पर इसे प्राइमरी पोलीसाइथिमिया कहा जाता है, जबकि किसी रोग से संबंध होने पर इसे सेकेण्डरी पोलीसाइथिमिया कहते हैं। इसके कई कारण हैं –

बहुत ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी इलाकों में रहने पर हवा में ऑक्सीजन कम रहती है, इसलिए शरीर को ज्यादा हीमोग्लोबिन तैयार करके उससे ऑक्सीजन की कमी को पूरा करना पड़ता है। कई बीमारियों में शरीर को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन नहीं मिलती जैसे सायनोटिक हार्ट डिजीज (ब्लू बेबी), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नीया आदि। ऐसे में शरीर अधिक हीमोग्लोबिन तैयार करके ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की कोशिश करता है। जीन संबंधी गड़बड़ी। किडनी या लिवर का कैंसर या कुशिंस सिंड्रोम नामक बीमारी। लंबे समय तक धूम्रपान करने, जबरदस्त प्रदूषण में रहने, जमीन के नीचे सुरंग में दीर्घ अवधि तक रहने के कारण।

लक्षण –
जैसे गाल लाल होना या चेहरा लाल होना, हथेली या पांवों के तले में लालिमा रहती है, स्नान करने के बाद हाथ-पैरों में खुजली होती है, सिर घूमता है, थकान रहती है, पेट दर्द रह सकता है आदि। इस बीमारी में नाक से, आंत से भी रक्तपात हो सकता है। देखा गया है कि कुछ लोगों में यूरिक एसिड बढ़कर गठिया की शिकायत हो जाती है। इसमें कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यही नहीं लिवर बढ़ने की समस्या हो सकती है। लेकिन रक्त की जांच करने पर ही बढ़े हुए हीमोग्लोबिन का पता चल पाता है।



Source: Health

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