नाम है इलेक्ट्रोपैथी, पर इलाज पौधों के अर्क से बनी दवा देकर करते
इसमें अर्क को लिक्विड या इंजेक्शन के रूप में देते हैं। इस पैथी के नाम से लोगों में भ्रम होता है कि इसमें बिजली से इलेक्ट्रिक शॉक देते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें हर तरह की बीमारियों का हब्र्स से इलाज होता है।
इसमें दवा बनाने का तरीका बिल्कुल अलग होता है। जिस पौधे का अर्क निकालना होता है उस पौधे को एक कांच के जार में पानी के साथ रख देते हैं। हर सप्ताह पुराने पौधों को निकाल दिया जाता है और दूसरा नया पौधा उसमें डाल देते हैं। यह प्रक्रिया करीब 35-40 दिन तक चलती है। फिर उस पानी को फिल्टर किया जाता है। इसे स्पेजरिक एसेंस कहते हैं। जरूरत के अनुसार इसको गाढ़ा या पलता कर दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। अभी करीब 114 पौधों की पहचान हो चुकी है जिनसे इलेक्ट्रोपैथी के लिए दवाइयां बनाई जा रही हैं।
इनमें उपयोगी: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और ब्लड बढ़ाने के लिए भी इस पैथी का इस्तेमाल किया जाता है। किडनी स्टोन, कब्ज, टॉन्सिलाइटिस, गठिया, पाइल्स, साइनोसाइटिस, चर्म रोग, ब्लड प्रेशर, दमा आदि में उपयोगी माना जाता है।
पांच प्रकृति से होती है पहचान
आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ प्रकृति से बीमारी की पहचान होती है। इसमें पांच प्रकृति से रोगों को परखते हैं। इनमें वायु, पित्त, रस, रक्त और मिश्रित प्रकृति होती है। इसमें शरीर का तापमान भी देखा जाता है।
धनात्मक-ऋणात्मक, दो तरह की बीमारियां
इस पैथी में बीमारियों को दो वर्गों में बांटा गया है धनात्मक और ऋणात्मक बीमारियां। जिस बीमारी में परिवर्तन के बाद शरीर में अवययों की मात्रा अधिक हो जाती है उसेे धनात्मक और जिसमें अवयवों की मात्रा घट जाती है उसे ऋणात्मक बीमारी कहते हैं। जैसे शरीर में शुगर का स्तर बढऩा धनात्मक और शुगर या ब्लड प्रेशर लेवल कम होना ऋणात्मक बीमारी की श्रेणी में आता है।
फायदे और सावधानी
्रइसमें केवल हर्बल दवाइयों का इस्तेमाल होता है। इसलिए साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। एक्सपर्ट की मानें तो बीमारी का जड़ से इलाज होता है। कोशिकाओं के स्तर पर दवाएं काम करती हैं। इलाज के दौरान मरीज को कुछ सावधानी भी बरतनी होती है। अधिकतर मरीजों को खट्टी चीजों का परहेज करना होता है। कोई भी दवा एक्सपर्ट की सलाह से ही लेनी चाहिए।
डॉ. योगेंद्र पुरोहित, इलेक्ट्रोपैथी एक्सपर्ट, किशनगढ़, राजस्थान
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