अगर बच्चे को है फूड एलर्जी तो जरूर जान लें ये खास बातें
बच्चों को सुबह स्कूल के लिए तैयार करने से लेकर उनके नाश्ते और टिफिन पैक करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती हैं। खासकर तक जब बच्चों को किसी भी तरह की फूड एलर्जी हो। बच्चे अपना खाना बांटकर खाना पसंद करते हैं। ऐसे में अपने बच्चों के साथ उन बच्चों का भी खयाल रखना पड़ता है जो हमारे बच्चों के साथ रोज खाने-पीने की चीजें शेयर करते हैं। इसलिए लंच बॉक्स में क्या रखा जाए यह एक मां के नजरिए से बहुत अहम है। इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि बच्चों को जंक फूड या पैक्ड फूड न दिया जाए।
खाद्य पदार्थों से संबंधित 90 फीसदी एलर्जी आठ खाद्य पदार्थों से होती है। ये हैं- दूध, अंडे, मछली, क्रेस्टिशियन शैलफिश, ट्री नट्स, मूंगफली, गेहूं और सोयाबीन। इसी तरह भारत में भी बच्चों में खाद्य संबंधी एलर्जी में इजाफा हो रहा है। इसके सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे ही हैं। देश की कुल आबादी का 1 से 2 फीसदी हिस्सा खाद्य संबंधी एलर्जी से प्रभावित है।
कक्षाओं में सबसे ज्यादा होती एलर्जी –
बच्चों को अक्सर स्नैक्स संबंधी उत्पादों से एलर्जी का जोखिम ज्यादा होता है। बच्चों को फूड एलर्जी संबंधी प्रतिक्रिया या अटैक आने की सबसे ज्यादा आशंका कक्षा में होती है न कि कैंटीन में। इसका अभी कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है लेकिन संभवत: ऐसा घर से लाया गया खाना न खाकर साथियों का दिया खाद्य उत्पाद खाने के कारण है। एक अन्य कारण अध्यापकों को फूड एलर्जी के समय क्या किया जाना चाहिए इस बारे में जानकारी न होना भी है। तीसरा कारण बच्चों में एक-दूसरे से फैलने वाले संक्रमण और ठीक से हाथ न धोना भी हो सकता है। स्कूल और घर पर बच्चों को फूड एलर्जी से बचाते हुए स्मार्ट और सुरक्षित खाने के बारे में कुछ सुझाव इस प्रकार हैं –
बच्चों को उनकी एलर्जी के बारे में समझाएं –
सबसे पहले तो अपने बच्चे को उसकी एलर्जी के बारे में समझाएं। बच्चे को क्या परेशानी है और किन बातों का ध्यान रखना है इन बातों को भी समझने में मदद करें। इतना ही नहीं अगर बच्चों को कोई खाद्य संबंधी एलर्जी नहीं भी है तो उन्हें उन्हें इसके बारे में बताएं क्योंकि कक्षा में उनके दोस्तों को इस तरह की समस्या हो सकती है। यह भी बताएं कि फूड एलर्जी हो तो उन्हें अपने साथियों के साथ भोजन करने से बचना चाहिए।
एलर्जी जनक खाना खाने से बचें –
बच्चों को बताएं कि उन्हें किस तरह के खाने से एलर्जी है। ऊपर दी गई सूची में शामिल खाद्य पदार्थों के बारे में उन्हें जानकारी दें। हालांकि तिल इसमें शामिल नहीं है लेकिन यह भी एलर्जी के जैसी प्रतिक्रियाएं कर सकता है। यह भी सुनिश्चित करें कि इनमें से किसी भी उत्पाद को पैक न करें यह भी प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है। अपने बच्चों को खाद्य पदार्थों पर पड़ी सामग्री की जानकारी पढ़ना सिखाएं। कानूनी रूप से दूध, अंडे, मछली, क्रेस्टिशियन शैलफिश, ट्री नट्स, मूंगफली, गेहूं और सोयाबीन वाली खाद्य वस्तुओं की पैकिंग पर इनकी जानकारी देना भी अनिवार्य है।
बच्चों के लंच बॉक्स पर जानकारी दें –
इस बात की भी पूरी कोशिश करें कि आपके बच्चों के साथ लंच करने वाले बच्चों को पता रहे कि वे क्या खाने जा रहे हैं या उन्हें क्या नहीं खाना चाहिए। इसके लिए बच्चों के टिफिन बॉक्स पर लेबलिंग करें या जानकारी चस्पा करें।
बच्चों को स्थिति संभालना सिखाएं –
जरूरी नहीं कि हर कोई आपके बच्चोंं की परेशानी को सहानुभूति के तौर पर देखे। एलर्जी की बाद सुनकर या कक्षा में कभी एलर्जी अटैक होने पर बच्चे आपके बच्चों से किनारा कर लें। ऐसे में उन्हें इन परिस्थितियों के लिए भी मानसिक रूप् से तैयार करें। उन्हें समझाएं कि असहज महसूस करने या अकेलेपन की बजाय स्थिति को स्वीकार कर अपना प्राकृतिक व्यवहार बनाए रखें। वहीं बच्चों को टिफिन में ऐसी चीजें दें जो स्वादिष्ट, दिखने मेंआकर्षक और रंगीन हों इससे बच्चे का भी खाने का मन करेगा। साथ ही विभिन्न एलर्जी के अनुसार नए-नए खाद्य पदार्थों का पता लगाने के के बारे में भी सोचें।
पौष्टिक और सेहत भरा हो निवाला –
विभिन्न प्रकार के खाद्य समूहों को परखें। कोशिश करें कि बच्चों को खाद्य एलर्जी के बावजूद पोषण और भरपेट खाने की कमी न रहे। इसके लिए संयोजन पर भी ध्यान देना होगा। अच्छी क्वालिटी के स्नैक्स पोषण की कमी को दूर करेंगे। इसी प्रकार ताजा फल, सूखे या डीप फ्रीज किए गए मेवे और सब्जियां आम तौर पर सुरक्षित उपाय हो सकते हैं। नूडल मिल्क एक विकल्प है वहीं सागों के जरिए भी बच्चों में पोषण की कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा, जैतून, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज और एवोकाडो पर भी विचार किया जा सकता है। यदि अंडे एलर्जी की वजह हैं तो मछली, सीपियां, सोया, चिकन और दूध से विटामिन बी 12 प्राप्त कर सकते हैं। अगर ग्लूटेन मुक्त है तो ओट्स भी लिए जा सकते हैं। वहीं जापानी क्विनोआ भी खाने में लिया जा सकता है।
Source: Health