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Cerebral Malaria: वैज्ञानिकाें काे मिला सेरेब्रल मलेरिया का ताेड़, अब हाेगा सटीक उपचार

Cerebral Malaria In Hindi: एक महत्वपूर्ण अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने जानलेवा सेरेब्रल मलेरिया के विकास के लिए जिम्मेदार एक प्रमुख अणु की पहचान करने में सफलता हासिल की है। इस सफलता को सेरेब्रल मलेरिया के सटीक उपचार की दिशा में एक प्रभावी कदम माना जा रहा है। अनुसंधान का नेतृत्व कैमरून केंद्र पाश्चर डु कैमरून के सहयोग से यू हेल्थ के वैज्ञानिकों ने किया। यह अध्ययन Journal PLOS Pathogens में प्रकाशित हुआ है।

सेरेब्रल मलेरिया ( Cerebral Malaria ) संक्रमित व्यक्ति के दिमाग से तरल का रिसाव होता और वो कोमा में चला जाता है। इससे हर साल 575,000 से अधिक लोग संक्रमित होते हैं। जिसमें से 20 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। और बचे हुए 80 प्रतिशत में लंबे समय तक न्यूरोडेवलपमेंटल लक्षण विकसित होते हैं जिनमें दौरे और मानसिक स्वास्थ्य विकार शामिल हैं। यह छोटे बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है।

चूहों पर किए गए अध्ययन में, जांचकर्ताओं ने पाया कि एपीएचए 2 ( EphA2 ) प्रोटीन मस्तिष्क से रिसाव के लिए जिम्मेदार है, जो सेरेब्रल मलेरिया का एक हॉलमार्क लक्षण है।

टीम ने यह भी दिखाया कि विभिन्न दवाओं के साथ EphA2 को अवरुद्ध करना इस खतरनाक लक्षण को उत्पन्न होने से रोकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, निष्कर्ष बताते हैं कि एक समान चिकित्सीय रणनीति संभवतः मनुष्यों में इस बीमारी को रोक सकती है।

यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा हेल्थ में पैथोलॉजी के वरिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक ट्रेसी लैंब के अनुसार, यह खोज वास्तव में महत्वपूर्ण है, मलेरिया में मस्तिष्क रिसाव को रोकने लिए नए लक्ष्यों की तत्काल आवश्यकता है, ताकि सेरेब्रल मलेरिया से होने वाली मौतों का रोका जा सकें।

शोधकर्ताओं का ध्यान EphA2 पर तब गया जब उन्होंने देखा की यह अणु उसके टूटने से ठीक पहले रक्त-मस्तिष्क की बाधा के स्थल पर सक्रिय हो गया। आगे की जांच से पता चला कि EphA2 कोशिकाओं के बीच तंग जंक्शनों को ढीला करके रक्त-मस्तिष्क अवरोध को बाधित करता है, इन कोशिकाओं को एक दूसरे से बंधे रखने वाले गोंद को हटाता है।

EphA2 की पहचान के साथ, वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्या EphA2 को अवरुद्ध करने से संक्रमण के दौरान रक्त-मस्तिष्क की बाधा की रक्षा होगी। इसके लिए उन्होंने दो अलग-अलग एजेंटों के साथ संक्रमित चूहों का इलाज किया। एक एजेंट एक पुन: तैयार की गई कैंसर की दवा, निलोटिनिब था, जो ईएफए 2 सहित कई अणुओं को रोकता है। दूसरा एक इंजीनियर प्रोटीन था जो विशेष रूप से इफरीन लिगैंड्स नामक अणुओं को अवरुद्ध करता था जो ईएफए 2 के साथ इंटरेक्ट कर उसकी सक्रियता को रोकेंगे।

अध्ययन के पहले लेखक थायर डार्लिंग के अनुसार, यह उल्लेखनीय है कि संक्रमण के चार दिन बाद दिए जाने पर दोनों उपचार प्रभावी थे। उन्हें संक्रमण से पहले एक निवारक के रूप में देने की आवश्यकता नहीं थी जो वास्तविक दुनिया की स्थिति में करना मुश्किल हो सकता है।

सेंटर पाश्चर डू कैमरून के एक प्रोफेसर व अध्ययन के सह-लेखक लॉरेंस अयोंग ने कहा, “यह समझना कि मलेरिया परजीवी के साथ संक्रमण कैसे घातक न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को जन्म दे सकता है, विश्व स्तर पर मलेरिया से संबंधित मौतों को रोकने के लिए नए चिकित्सीय साधनों की खोज करना महत्वपूर्ण है, यह अनुसंधान बहुत ही विशेष है और भविष्य में मनुष्यों में मलेरिया से जुड़ी मौतों को रोकने के तरीके के रूप में इस प्रोटीन की गतिविधि को संशोधित करने पर केंद्रित है।


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Source: Health