जीवन-प्रत्याशा घटाता है तनाव, इसलिए खुश रहिए ज्यादा जिएंगे
कोरोना वायरस के चलते इन दिनों हर कोई तनाव और चिंता में हैं। अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए चिंतित व्यक्ति इस महामारी से इतना घबराया हुआ है कि उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि वह क्या करे? यदि आप भी बहुत अधिक तनाव ले रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है। हाल ही शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया है कि हमारी जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) न केवल हमारी पारंपरिक जीवन शैली से जुड़े जोखिम कारकों से प्रभावित होती है। बल्कि हमारे जीवन की गुणवत्ता से संबंधित कारकों जैसे भारी तनाव से भी प्रभावित होती है। बीएमजे ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन फिनलैंड के ‘नेशनल फाइनलॉर्स स्टडी’ (1987-2007) में 25 से 74 वर्ष की आयु के पुरुषों और महिलाओं पर किए शोध के निष्कर्षों के आधार पर जारी किए गए हैं। सटीक नतीजों के लिए शोधकर्ताओं ने जीवनशैली से जुड़े जोखिम वाले कई कारकों के प्रभावों की गणना की।
आमतौर शोधकर्ता जीवन प्रत्याशा का आकलन कुछ बनी-बनाई समाज शास्त्रीय पृष्ठभूमि वाले कारकों जैसे उम्र, gender और शिक्षा के आधार पर किया है। लेकिन फिनलैंड में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड वेलफेयर के शोधकर्ता टॉमी हरकेनन ने बताया कि उनकी टीम ने अध्ययन के लिए इनके अलावा भी जीवनशैली को प्रभावित करने वाली अन्य कई बातों को शामिल किया। शोधकर्ताओं ने बीएमआइ (Body Mass & Index), रक्तचाप और कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को बदलकर जोखिम कारकों के जीवन प्रत्याशाओं पर पडऩे वाले प्रभावों की गणना की। शोधकर्ताओं ने पाया कि 30 वर्षीय पुरुषों के लिए जीवन प्रत्याशा कम होने का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान और मधुमेह है। धूम्रपान उनकी जीवन प्रत्याशा से 6.6 वर्ष और मधुमेह 6.5 वर्ष कम कर देता है। अध्ययन के मुताबिक भारी तनाव में रहने से उनकी जीवन प्रत्याशा 2.8 साल कम हो जाती है।
इतने साल कम हो जाते
शोध में यह भी पता चला है कि व्यायाम की कमी से भी 30 साल की उम्र के पुरुषों की जीवन प्रत्याशा को 2.4 साल का नुकसान पहुंचता है यानी जीवन से इतने साल कम हो जाते हैं। शोधकर्ताओं ने जीवन प्रत्याशा बढ़ाने के उपाय भी बताए हैं। उनके अनुसार बहुत सारे फल और सब्जियों के सेवन ये जीवन प्रत्याशा को बढ़ाया जा सकता है। स्वच्छ और ताजा फल खाने से जहां हमारी जीवन-प्रत्याशा में 1.4 साल की वृद्धि होती है वहीं जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों के सेवन से 0.9 साल की वृद्धि होती है। इन कारकों ने शोध के दौरा स्त्री और पुरुषों दोनों की जीवन प्रत्याशा को प्रभावित किया।
महिलाओं पर भी पड़ता असर
बात करें महिलाओं की तो धूम्रपान करने वाली महिलाओं की जीवन प्रत्याया घटकर 5.5 साल और मधुमह के चलते 5.3 साल जबकि भारी तनाव में रहने से जीवन प्रत्याशा में 2.3 साल तक कम हो सकते हैं। अध्ययन के एक अन्य शोधकर्ता सेपो कोस्किनन ने बताया कि शोध के बारे में सबसे दिलचस्प था कि 30 साल के पुरुषों और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा में अंतर बहुत कम था। अध्ययन में कहा गया है कि मृत्यु दर में वृद्धि, धूम्रपान, अत्यधिक शराब का उपयोग, आहार संबंधी सावधानियां और व्यायाम की कमी जैसी जीवनशैली वाले लोग सबसे आम हैं। इनकी सामाजिक स्थिति भी सबसे कमजोर है।
Source: Health