Respiratory Diseases: जानिए श्वसन-तंत्र से जुड़े राेग व उनके लक्षणाें के बारे में
Respiratory Diseases: बदलते मौसम में श्वसन-तंत्र से जुड़ी बीमारियां जोर पकड़ने लगती है। इनसे बचने के लिए हमें खानपान से लेकर साफ-सफाई तक का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जरा सी लापरवाही स्वास्थ्य के लिए नुकसान देय साबित हो सकती है। अगर आप भी श्वसन-तंत्र संबंधी समस्या महसूस करते हैं तो चिकित्सक को जरूर दिखाएं। आइए जानते है श्वसन-तंत्र को कौन- काैन सी बीमारिया प्रभावित करती है:-
लैरिन्जाइटिस
लैरिंक्स को वॉयस बॉक्स भी कहते हैं। इसके कारण हम बोलते, चिल्लाते, फुसफुसाते और गाते हैं। यह भोजन और तरल पदार्थों को फेफड़ों में जाने से रोकता है। लैरिन्जाइटिस लैरिंक्स की सूजन है, जिसमें वोकल कार्ड सूज जाती है और उसका आकार बदल जाता है। कई बार लैरिंजाइटिस होने के बाद श्वसन मार्ग के ऊपरी भाग का संक्रमण हो जाता है, जो सर्दियों के मौसम में बहुत सामान्य है।
कॉमन कोल्ड
यह श्वसन मार्ग के ऊपरी भाग (नाक और गले) का संक्रमण है, जो कई वायरसों के कारण होता है। 7 से 10 दिनों में इसके लक्षण अपने आप ठीक हो जाते हैं। अगर लक्षण इससे अधिक समय तक बने रहें और बुखार भी आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
फैरिंजाइटिस
गले की खराश को चिकित्सीय भाषा में फैरिंजाइटिस कहते हैं। यह वायरस के संक्रमण के कारण होती है। ओरोफेरिंग्स जीभ के ठीक पीछे स्थित होता है। जब यह सूजकर लाल हो जाता है तो उसे गले की खराश कहते हैं। इससे बहुत दर्द और बेचैनी होती है। इसकी वजह से भोजन को निगलने में काफी परेशानी होती है। सर्दी और खांसी इस समस्या को और भी बढ़ा देते हैं। कई लोगों में गले की खराश इस बात की चेतावनी होती है कि आप पर सर्दी और फ्लू का हमला होने वाला है। सौ से अधिक वायरस हैं, जो सर्दी, खांसी और गले की खराश पैदा करते हैं।
ब्रोंकाइटिस
ब्रोंकाइटिस तब होता है, जब ब्रोंकियल ट्यूब (वह नली, जो वायु को फेफड़ों तक ले जाती है) सूज जाती है और उसमें जलन होती है। इसमें म्युकस का निर्माण भी अधिक होता है, जिससे कफ बनता है। ब्रोंकाइटिस दो प्रकार का होता है। एक्यूट ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस। एक्यूट ब्रोंकाइटिस 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाता है। जब ब्रोंकाइटिस ठीक होने के बाद वापस आ जाता है और लंबे समय तक रहता है तो उसे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस कहते हैं। उन लोगों को यह अधिक होता है, जो धूम्रपान करते हैं। जिन्हें अस्थमा, सीओपीडी, निमोनिया या फेफड़ों से संबंधित दूसरी समस्याएं होती हैं, उनमें इसका खतरा अधिक होता है। यह अधिकतर वायरस के कारण होता है, कभी-कभी बैक्टीरिया के कारण भी हो जाता है। इसमें कफ और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसमें भी इनहेलर की जरूरत पड़ती है, इसलिए कुछ लोगों को गलतफहमी होती है कि उन्हें अस्थमा हो गया है।
निमोनिया
निमोनिया एक संक्रमण है, जिसके कारण एक या दोनों फेफड़ों में एयरसेक सूज जाते हैं। इनमें पस भर सकता है। निमोनिया में कफ, बुखार, ठंड लगना, सांस लेने में समस्या होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई प्रकार के सूक्ष्मजीवी बैक्टीरिया, वायरस और फफूंद निमोनिया का कारण बन सकते हैं। निमोनिया गंभीर होकर जीवन के लिए घातक हो सकता है। बच्चों और बुजुर्गों में इसके लक्षण अधिक गंभीर होते हैं, क्योंकि उनका इम्यून-सिस्टम कमजोर होता है।
Source: Health