Autism: नौ माह बाद भी बच्चा प्रतिक्रिया न दे तो चिंता करें
ऑटिज्म, बच्चों में होने वाली दिमागी बीमारी है। इसके लक्षण बचपन से ही दिखने लगते हैं। इसमें बच्चा परिवार के दूसरे बच्चों या सदस्यों से ठीक से घुल-मिल पाता है। वह लोगों की बातें पर सही प्रतिक्रया नहीं देता है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना और कई बार अपने को चोट भी पहुंचा लेता है। ऐसे बच्चों को ऑटिस्टिक कहते हैं। इनकी ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है।
प्रेग्नेंसी में परेशानी भी कारण
इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे प्रेग्नेंसी में थायरॉइड लेवल कम होना, असमय बच्चे का जन्म और पर्यावरणीय कारण भी हैं। लड़कियों की तुलना में लडक़ों में यह परेशानी अधिक होती है।
जब अनदेखी करने लगे
ऐसे बच्चे आसपास के लोगों का चेहरे देखकर प्रतिक्रिया नहीं दे पाते हैं।
दूसरों की बातों की अनदेखी करते हैं। पर ऐसा जानबूझकर नहीं करते हैं।
उनको बोलने में परेशानी होती है। अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्तनहीं कर पाते।
अपने हाथ-पैर को हिलाते हैं। लगातार एक चीज को देखते रहते हैं।
रचनात्मकता की कमी होती है। उनकी सोच ठीक से विकसित नहीं होती है।
कब डॉक्टर को दिखाएं
ऐसे बच्चों में लक्षण पहले साल में ही दिखने लगते हैं। अगर बच्चा नवें माह में प्रतिक्रिया नहीं देता या मुस्कुराता है तो डॉक्टर को दिखाएं। कई बार बच्चा अजीब तरह की आवाज भी निकालता है।
कोई स्थाई इलाज नहीं
ऑटिज्म का कोई स्थाई इलाज नहीं है। लेकिन बिहैवियर या स्पीच थैरेपी से उसकी सीखने की स्किल्स को बढ़ाया जा सकता है। अगर पहचान जल्दी हो जाती है तो ध्यान देने से ज्यादा सुधार होता है। ऐसे बच्चों पर गुस्सा नहीं होना चाहिए इससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है। प्यार भरा बर्ताव हमेशा रखें।
डॉ. विवेक शर्मा, वरिष्ठ शशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ, जयपुर
Source: Health