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सोशल डिस्टैसिंग को गंभीरता से नहीं लिया तो 2022 तक बढ़ सकती है कोरोना की समस्या !

नोवेल कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में करोड़ों लागे अपने घरों में कैद हैं। सभी की जुबान पर एक ही सवाल है कि यह तालाबंदी कब तक चलेगी और जब यह खतरा टल जाएगा तब क्या होगा? लेकिन शोध में जुटे वैज्ञानिकों के नए मॉडल यह संकेत दे रहे हैं कि सोशल डिस्टैंसिंग (शारीरिक दूरी) की यह लहर 2022 तक इस वायरस के खिलाफ चलने वाले लंबे युद्ध का पहला चरण है। अभी दुनिया भर में तीन अरब से अधिक लोग घर पर तालाबंदी और सामाजिक अलगाव के दौर से गुजर रहे हैं। लगभग 70 देशों ने पुलिस या सेना की मदद से अनिवार्य लॉकडाउन की पालना करवा रही है। वहीं संचार के साधनों के माध्यमों से सोशल डिस्टैसिंग और कफ्र्यू में बाहर न निकलने की अपील कर रहे हैं।

भारत की भूमिका प्रशंसनीय –
दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए भारत सरकार के व्यापक कदमों की पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है। 21 दिनों के लिए देश की 135 करोड़ से अधिक आबादी के घर से निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन यहां भी लोगों के मन में यही सवाल उमड़ रहे हैं कि उन्हें कब तक लॉकडाउन की स्थिति का सामना करना पड़ेगा और सामान्य स्थिति में लौटने पर क्या फिर से महामारी फैल जाएगी?

2022 तक उबर पाएगी दुनिया –
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि व्यापक निगरानी और हस्तक्षेप के साथ सोशल डिस्टैंसिंग का सख्ती से पालन नहीं किया जाता है तो पूरी दुनिया में मृतकों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है। क्योंकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि वायरस सर्द मौसम में तेजी से फैलता है या नहीं। नए हार्वर्ड मॉडल के अनुसार वायरस के असर से पूरी दुनिया 2022 में उबर पाएगी। विश्वविद्यालय का यह अनुमान अमरीका में कोरोना के वर्तमान परिदृश्य पर आधारित है। अध्ययन से पता चलता है कि जब तक महामारी जारी रहती है तब तक बचाव के उपायों के बीच की अवधि भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है।



Source: Health