CORONA : डरी नहीं, मैंने खुद को समझाया कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा
सवाल : आपको इस वायरस ने कैसे संक्रमित किया?
मेरा काम बुक पब्लिशिंग से जुड़ा है। जून में एक फेस्टिवल होना है, उसी सिलसिले में में एक मीटिंग थी। मैं 12 मार्च को गई। मीटिंग में हिस्सा लेकर घर लौटी तो अगले दिन मुझे बुखार आ गया। लगा शायद मौसम का असर है। मैंने दवाई ली और आराम किया।
सवाल : शुरुआत में क्या दिक्कत हो रही थी?
दो-तीन दिन ऐसा ही चलता रहा। चौथे दिन घबराहट, पांचवें बीपी बढऩे लगा और बुखार 100 डिग्री पार पहुंच गया। चिकित्सक की सलाह से हर चार घंटे पर मुझे पैरासिटामॉल लेना पड़ता था। कुछ भी खाना मेरे लिए मुश्किल हो गया था, पर मैं चार-पांच लीटर पानी पी रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे पानी मेरे अंदर सूख रहा हो। छठें दिन मुझे बदहजमी, छाती में भारीपन महसूस हो रहा था। थकान बढ़ रही थी।
सवाल : आप अस्पताल कब गईं, कैसे इलाज हुआ?
आठवें दिन अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी। पति ने तुरंत अस्पताल फोन लगाया। डॉक्टर ने कई सवाल पूछे। फौरन अस्पताल लाने की सलाह दी। कॉर्डियोलॉजिस्ट ने मेरा ईसीजी व कई टेस्ट किए। उन्होंने बताया कि Óयादातर को फेफड़ों में संक्रमण होता है पर यह नया मामला है,जिसमें दिल पर आघात हो रहा है। मेरा केस उनके अध्ययन का विषय बन गया। अगले दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। करीब तीन सप्ताह रिकवर होने में लग गए।
सवाल : ठीक होने के बाद आप क्या सावधानियां बरत रही हैं?
इस समय आराम कर रही हूं। पानी खूब पी रही हूं, चिकित्सक की सलाह पर होम्योपैथिक दवा ले रही हूं। सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर रही हूं। हर रोज एक पॉजिटिव एनर्जी के साथ उठती हूं।
सवाल : अपने अनुभवों को आगे शेयर करेंगी?
हां, इन अनुभवों पर किताब पब्लिश करने का विचार है। ऐसे लोगों की कहानियां भी होंगी। इसके लिए मशहूर फिल्म अदाकारा राजेश्वरी लूम्बा सहयोग लूंगी और इसे फिल्मकार राजकुमार हीरानी को डेडिकेट करूंगी।
सवाल : स्वस्थ होने के लिए आपने क्या प्रयास किए?
मैंने गरम पानी व नींबू का खूब प्रयोग किया। मैं चावल, दाल और ब्रेड टोस्ट ही खाती थी लेकिन मैं चाय बहुत पीती थी। डॉक्टर ने मुझे चाय कम पीने की सलाह दी। बताया इसका सीधा असर हृदय पर होता है। जिस दिन से बीमार पड़ी मैंने सोशल मीडिया से दूरी बनाई, पॉजिटिव थोट्स और मैंने नियमित ध्यान लगाती थी।
सवाल : कोरोना को लेकर काफी दहशत है, आपको या आपके परिवार को डर नहीं लगा?
डर किसे नहीं लगता…अगर सकारात्मक सोच हो तो आप किसी भी बीमारी से लडऩे की क्षमता रखते हैं। मैं डरी नहीं, खुद को समझाया कि सब ठीक हो जाएगा। मैंने बीमारी की बात माता-पिता या नोएडा में परिजनों को नहीं बताई, जब मैं थोड़ा ठीक हुई तो मैंने उनसे अपनी परेशानी साझा की। अब रोजाना उनका फोन आता है।
Source: Health