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कोरोना पर हुए सर्वे में सामने आया, जीवनशैली में बदलाव, बढ़ती चिंता व वायरस की चपेट में आने से डर रहे लोग

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में लोगों की जीवनशैली में बड़ा बदलाव किया है। जीवनशैली में आए इस बदलाव ने जहां लोगों को कई महत्त्वपूर्ण सबक सिखाए हैं वहीं कुछ देशों में जीवन बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो गया है। महामारी के इस आपातकाल में 10 में से 9 लोगों का कहना है कि वे वायरस से बचने के लिए जितना संभव हो घर पर ही रह रहे हैं। साथ ही जोखिम को कम करने के लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टैंसिंग) को भी अपना रहे हैं। ऐसे ही 10 में से 9 लोगों ने बताया कि उन्होंने बाहर खाना छोड़ दिया है। वहीं 10 में से 6 लोगों का यह भी कहना है कि उनके पास घर पर भोजन और घरेलू आपूर्ति का पर्याप्त भंडार है। अमरीकी समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट और एबीसी न्यूज पोल के हालिया सर्वे में सामने आया कि कोरोना वायरस फैलने के कारण ज्यादातर लोगों के दैनिक जीवन में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है और जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों में सबसे ज्यादा इस बात को लेकर डर है कि कहीं वे भी कोविड-19 महामारी की चपेट में न आ जाएं। आइए जानते हैं कि पोल में लोगों ने महामारी और सोशल-डिस्टैंसिंग के दौर में और क्या कहा।

पोल के नतीजों पर एक नजर-
-40 फीसदी लोग मानते हैं कि वायरस के चलते उनकी जिंदगी बाधित हो गई है। जबकि केवल 16 फीसदी ने इन व्यवधानों को महत्त्वपूर्ण सबक माना। दो सप्ताह पहले अमरीकी कैसर फैमिली फाउंडेशन के एक सर्वे में सामने आया
– 10 में से 7 अमरीकी वायरस जनित तनाव की तुलना 2008 में अमरीका की आर्थिक मंदी के दौर से कर रहे हैं। जबकि 3 में से एक अमरीकी का मानना है कि यह बेहद गंभीर तनाव की स्थिति है।
3/4 महिलाओं और बच्चों का कहना है वे इस वायरस के चलते बहुत ज्यादा तनाव महसूस कर रहे हैं, यह कोरोना के चलते नौकरी खोने और आय पर पडऩे वाले असर के कारण है।
-56 फीसदी लोगों ने माना कि वे खुद को संक्रमित होने के डर के साए में जी रहे हैं, जबकि 20 फीसदी ने स्वीकारा कि वे उच्च जोखिम के बीच रह रहे हैं।
-सर्वे में भाग लेने वाले आधे से अधिक लोगों ने स्वीकार किया कि वे स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, सार्स, मर्स, जीका और इबोला से भी ज्यादा कोरोना वायरस से डरे हुए हैं।
-58 फीसदी अमरीकियों का मानना है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कोरोना पर ठोस कदम उठाने में देर कर दी। जबकि 38 फीसदी का मानना है कि उन्होंने सही समय पर सही कदम उठाए हैं।
-86 फीसदी डेमोक्रेट्स पार्टी के सदस्यों ने ट्रंप पर धीमी गति से कार्रवाई का आरोप लगाया है, जबकि 75 फीसदी रिपब्लिकंस ने उनके फैसलों को सही ठहराया है।
-48 फीसदी वयस्क अमरीकियों में ट्रंप की नौकरियों को लेकर दिए बयान के बाद सकारात्मकता है जबकि 46 फीसदी अब भी रोजगार और नौकरियों को लेकर आशंकित हैं। फरवरी में यह आंकड़ा क्रमश: 43 फीसदी और 53 फीसदी था।
-06फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस की जांच करवाई है जबकि 10 में से 9 लोगों ने इससे इंकार कर दिया है कि उनकी अभी तक ऐसी कोई जांच नहीं की गई है।
-1/4 लोगों का कहना है कि ज्यादातर लोगों के पास जांच करवाने की सुविधा और पैसा ही नहीं है। जबकि एक तिहाई आबादी के पास परीक्षण करवाने संबंधी कोई जानकारी नहीं है।
-10 में 8 लोगों का कहना था कि वे संक्रमण से बचने के लिए लगातार हाथ धो रहे हैं। हालांकि में से 2 लोग ही अपने हाथों को सामान्य से अधिक बार धो रहे हैं।
-13 फीसदी अमरीकियों ने फरवरी के मध्य तक अपनी सभी पूर्वनियोजित यात्राएं रद्द कर दी थीं।
-02 सप्ताह में घरेलू सामान जैसे टॉयलेट पेपर, पेपर टॉवल या कीटाणुनाशक वाइप्स और भोजन के स्टॉक करने व थोक में खरीदने में तेजी आई है। कैसर फैमिली फाउंडेशन के एक सर्वे में सामने आया कि 35 फीसदी लोग जरुरत के सामान का स्टॉक कर रहे थे। मार्च के आखिर सप्ताह तक यह आंकड़ा बढ़कर 61 फीसदी हो गया है, वॉशिंगटन पोस्ट-एबीसी पोल के अनुसार।
-1003 वयस्कों ने इस सर्वे में भाग लिया था वॉशिंगटन पोस्ट-एबीसी पोल के सर्वे में, 22 से 25 मार्च के बीच आयोजित हुए इस सर्वे में 75 फीसदी लोगों से सीधे साक्षात्कार और 25 फीसदी से टेलीफोन पर जवाब पूछे गए थे।



Source: Health

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