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Coronavirus Tips : सावधान! कोरोना का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर, एकदम से रुक जाती है पंपिग, जानिए कैसे रखें मजबूत

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) जैसी ख़तरनाक बीमारी ने दुनिया के लगभग सभी देशों को प्रभावित किया है। इस वायरस का असर एक इंसान की उम्र और पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर निर्भर करता है। अभी तक कोरोना वायरस (Coronavirus) के लक्षण तीन तरह के दिखे जा रहे थी। जिनमें फ्लू से मिलते-जुलते , संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश थे। कहा जा रहा था कि सामान्य तरह के निमोनिया में फेफड़े का एक हिस्सा प्रभावित होता है। पर क्या आप जानते हैं कि मरीजों के दिल पर भी हमला कर रहा है। नये अध्ययन में सामने आया है कि ये कुछ मरीजों के दिल (Coronavirus Impact on Heart) पर भी हमला कर रहा है।

दिल पर करता है अटैक

एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया के मुताबिक हालिया स्टडी में सामने आया है कि कोरोना के हर पांच में से एक मामले में दिल को नुकसान पहुंचाने के संकेत दिखे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस फेफड़ों पर ही नहीं दिल पर भी अटैक करता है। डॉ गुलेरिया ने कहा कि तमाम देशों से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे वायरस के अलग-अलग प्रभाव के बारे में पता चलता है।

एकदम से कम हो जाती है पंपिंग

30 प्रतिशत मरीजों में ये मायोकार्डिटिस (Myocarditis) के लक्षण भी देता है। इससे हार्ट की मांसपेशि‍यों और उसके इलेक्ट्रि‍कल सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। इससे हृदय गति पर असर पड़ता है। हार्ट की फंक्शनिंग पर असर पड़ने से कई बार पंपिंग एकदम कम हो जाती है, इससे पता ही नहीं चल पाता और कई मामलों में मरीज की अचानक मौत हो जाती है।

अंगों पर असर के चौंकाने वाले प्रभाव

कोरोना मरीजों में जिनमें हृदय को लेकर लक्षण आ रहे हैं, उनमें हार्ट मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है। डॉ गुलेरिया का कहना है कि नये अध्ययनों में कोरोना वायरस के शरीर के विभ‍िन्न अंगों पर असर के चौंकाने वाले प्रभाव सामने आ रहे हैं। ये भी सामने आया है कि कुछ मरीजों में कोरोना वायरस के असर के तौर पर फेफड़ों में क्लॉट बन जाता है, जिससे वो बिल्कुल काम नहीं करता।

कैसे रखें हार्ट को मजबूत

– मोटापे से रक्तचाप बढ़ता है और फिर दिल की अनेक बीमारियां होने का सदैव अंदेशा रहता है। इसलिए हमेशा अपने शरीर की जरूरत भर ही खाना खाएं।

-घर पर भोजन करना अधिक पौष्टिक होता हैं, क्योंकि आप स्वयं सब्जी, मसाले, चिकनाई एवं पकाने की विधि का चयन करते हैं। आप खाने को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें विभिन्न प्रकार के मसाले डाल सकते हैं और नमक एवं चीनी जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा कम कर सकते हैं।

-सब्जियों को अधिक तलकर या भून कर ना बनाएं। इन विधियों में तल की खपत अधिक हाती है जिससे मोटापा बढ़ता है। उबालकर या कम तेल में खाना बनाने की चेष्टा करें और जहां तक हो सके, हमेशा ताजा खाना खाएं।

-साबूत दालें-अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में ना घुलने वाला फाइबर होता है। दलिया, सेम, लोभिया सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नींबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होते हैं।

-भोजन में अधिक नमक की मात्रा होने से रक्तचाप बढ़ जाता है। इस कारण हृदय में कई बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है। जहां तक हो सके, ताजा खाना खाने की चेष्टा करें, क्योंकि पहले से निर्मित किये भोजन में कई हानिकारक पदार्थ होते हैं।

-तेल, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं और लाल मांस में नुकसानदेह चिकनाई होती है जो आपका बुरा कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाकर आपके हृदय को अस्वस्थ करती है, लेकिन मछली, अंडा, झिल्ली उतारा हुआ मुगार्, दालें, टोफू, किनुआ इत्यादि से पोष्टिक प्रोटीन एवं फायदेमंद चिकनाई दोनों मिलती है। बाजार में मिलने वाले अधिकतर खाने की वस्तुओं में अच्छा पौष्टिक तेल नहीं होता। इस कारण इनका उपभोग कम से कम करना चाहिए।



Source: Health