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नए अध्ययन में सामने आया की 18 दिन रहता है कोरोना वायरस हमारे शरीर में

हाल ही वैज्ञानिकों ने शोध के आधार पर बताया था कि कोरोना वायरस 30 स्ट्रेन यानी उपभेद में बदल चुका है। वहीं अब चीन के कुछ वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध के बाद जानकारी दी है कि किसी होस्ट कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले व्यक्ति में वायरस कम से कम 18 दिन रहता है। जबकि अभी तक वैज्ञानिक वायरस के लक्षणों के प्रदर्शित होने की अवधि 14 दिन मान रहे थे। वहीं दूसरों की तुलना में जो लोग ज्यादा या पहले से बीमार हैं उनके शरीर में भी वायरस औसतन 18 दिन तक रहता है।

नए अध्ययन में सामने आया की 18 दिन रहता है कोरोना वायरस हमारे शरीर में

क्यों महत्त्वपूर्ण है यह अध्ययन
अध्ययन में कहा गया है कि Corona virus उन रोगियों में अधिक समय तक रहता है जिन्हें अधिक वायरल पेलोड का हवाला देते हुए ज्यादा बीमार माना जाता है। शोध में चीन के झेजियांग प्रांत के 96 से अधिक संक्रमित व्यक्तियों को शामिल किया गया। इनका बारीकी से निरीक्षण करने पर पता चला कि वायरस के मेजबान शरीर में रहने का औसत समय लगभग 18 दिन था। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर बताया कि सार्स-सीओवी-२ की अवधि रोगियों के श्वसन और सीरम की तुलना में मल के नमूनों में काफी लंबी थी। जो इस महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए मल के नमूनों के बेहतर प्रबंधन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देता है। ऐसे ही यह कोविड-19 वायरस अधिक सघन और लंबे समय तक शरीर में रहता है और गंभीर बीमारी वाले रोगियों के श्वसन ऊतक में भी बना रहता है जो संक्रमण विस्फोट के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है।

दरअसल किसी भी वायरल लोड को माप के रूप में परिभाषित किया जाता है यानी उसे मिलीमीटर में मापा जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसका अनुमान कैसे और किस स्रोत से लगाया जा रहा है। झेजियांग प्रांत पर आधारित अध्ययन के नमूनों को रोगी की नाक, गले, रक्त, मूत्र और मल के नमूनों से जांचा गया था। इसके अलावा बीते अध्ययनों में भी यह चेताया गया है कि कोविड-19 संक्रमित लोगों के मल से भी फैल सकता है क्योंकि यह बहुत कुछ सार्स वायरस से मिलता जुलता है। इसलिए विभिन्न देशों में सीवेज के पानी और उपनगरीय इलाकों में सीवरों की भी जांच की जा रही है।

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महिलाओं और पुरुषों को अलग तरीके से करता प्रभावित
झेजियांग प्रांत के शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि वायरस पुरुषों और महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करता है। अपने शोध में उन्होंने उल्लेख किया कि वायरस की शरीर में रहने की अवधि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक लंबी थी। इस प्रकार शोध के परिणाम वायरस के पुरुषों पर होने वाले रोग की गंभीरता के कारणों पर भी प्रकाश डालते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसा पुरुषों और महिलाओं के बीच प्रतिरक्षा प्रणाली की स्थिति और हार्मोन के स्तर में अंतर से भी जुड़ा हो सकता है। एक अन्य कारक आयु भी है। जब मेजबान संक्रमित व्यक्ति के भीतर वायरस के रहने की अवधि की बात आती है तो अध्ययन के अनुसार आंशिक रूप से 60 साल से अधिक उम्र के रोगियों में यह स्थिति गंभीर बीमारी की उच्च दर दिखाता है। यह अध्ययन 19 जनवरी से 20 मार्च तक किया गया था।

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Source: Health