SPECIAL REPORT : नेपाल में कोरोना से क्यों नहीं हुई एक भी मौत
नेपाल में जरूरी सामान की दुकानें सुबह छह से नौ के बीच खुलती हैं। मास्क पहनना अनिवार्य नहीं लेकिन लोग खुद मास्क पहनते हैं। मित्रों व रिश्तेदारों से मिलना-जुलना बंद है। आवारा पशुओं को खाने-पीने की चीजें एनजीओ मुहैया करा रहे हैं। 24 मार्च को दूसरा केस आते ही भारत से एक दिन पहले लॉकडाउन घोषित कर दिया।
सुविधाओं का अभाव लेकिन इन कदमों से रोका प्रसार
ट्रैवेल हिस्ट्री
पहले जिनकी ट्रैवेल हिस्ट्री थी व उनके सम्पर्क में आए लोगों की स्क्रीनिंग, टेस्टिंग की गई।
रैपिड टेस्ट
देश में अब तक 9 हजार से ज्यादा पीसीआर टेस्ट किए गए हैं। 38 हजार से ज्यादा रैपिड टेस्ट किए गए हैं।
विमानों की आवाजाही पर रोक
लॉकडाउन के साथ ही यूरोप समेत पश्चिम एशिया के जापान, कोरिया, इरान, तुर्की व मलेशिया से आने वाले विमानों को प्रतिबंधित किया।
सेमिनार, कार्यक्रम रद्द: मंदिरों, मस्जिदों, चर्च, गुरुद्वारों सहित सार्वजनिक स्थलों पर 25 से अधिक लोगों के एकसाथ एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
फिर भी बढ़ाया लॉकडाउन
पहला केस 15 फरवरी को आया था। ब्रिटेन से लौटी बुजुर्ग महिला संक्रमित मिली। पीएम केपी शर्मा ओली ने संक्रमण काबू में रहने के बावजूद लॉकडाउन को अग्रिम आदेशों तक बढ़ा दिया है।
भारत ने की मदद
नेपाल में जरूरी दवाओं व उपकरणों की कमी थी, जिसके चलते भारत ने 3.2 लाख पैरासिटामोल व 2.5 लाख हाइड्रोक्लोरोक्वीन की डोज व अन्य चीजें भेजी हैं।
इम्युनिटी की हो रही चर्चा
नेपाल में अब तक कम संक्रमण के मामलों की वजह नेपालियों की मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता को बताया जा रहा है। वहां के कई डॉक्टरों का कहना है कि मजबूत इम्युनिटी से लोगों में कोरोना का असर कम है। जो लोग संक्रमित हैं उनमें गंभीर लक्षण नहीं दिख रहे है। इसलिए अभी तक एक भी मौत नहीं हुई है। जिन संक्रमितों का इलाज हो रहा है उनमें हल्के लक्षण वाले मरीज ज्यादा हैं।
Source: Health