समय पर पहचान से ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज संभव
जब ट्यूमर बढ़ने लगता है तो वह मस्तिष्क और वहां मौजूद उत्तकों पर दबाव बनाता है। यदि समय पर इसकी जांच की जाए तो इसके खतरे को कम किया जा सकता है। मस्तिष्क में मौजूद कोशिकाएं जब खराब होने लगती हैं तो बाद में जाकर ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। ये ट्यूमर कैंसर वाला या बिना कैंसर वाला हो सकता है। जब कैंसर विकसित होता है तो यह मस्तिष्क में गहरा दबाव डालता है, जिससे ब्रेन डैमेज होने के साथ मरीज की जान तक जा सकती है। लगभग 45% ब्रेन ट्यूमर बिना कैंसर वाले होते हैं, इसलिए समय पर इलाज के साथ मरीज की जान बचाई जा सकती है।”
वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया कि, ब्रेन ट्यूमर, भारत में हो रहीं मौतों का दसवां सबसे बड़ा कारण है। इस घातक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां विभिन्न प्रकार के ट्यूमर अलग-अलग उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रेजिस्ट्रीज (आईएआरसी) द्वारा निकाली गई ग्लोबोकैन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, हर साल ब्रेन ट्यूमर के लगभग 28,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं। इस घातक कैंसर के कारण अबतक लगभग 24,000 मरीजों की मौत हो चुकी है।
“ब्रेन ट्यूमर को प्राइमरी और सेकंडरी तौर पर विभाजित किया जाता है। प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वह है, जो मस्तिष्क में ही विकसित होते हैं जिनमें से कई कैंसर का रूप नहीं लेते हैं। सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर को मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। यह ट्यूमर तब होता है जब कैंसर वाली कोशिकाएं स्तन या फेफड़ों आदि जैसे अन्य अंगों से फैलकर मस्तिष्क तक पहुंच जाती हैं। अधिकतर ब्रेन कैंसर इन्हीं के कारण होता है। ग्लाइओमा (जो ग्लायल नाम की कोशिकाओं से विकसित होते हैं) और मेनिंग्योमा (जो मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड की परत से विकसित होते हैं) व्यस्कों में होने वाले सबसे आम प्रकार के ब्रेन ट्यूमर हैं।”
डॉ. आदित्य गुप्ता ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और संकेत ट्यूमर के आकार और जगह पर निर्भर करते हैं। कुछ लक्षण सीधा ब्रेन टिशू को प्रभावित करते हैं जबकी कुछ लक्षण मस्तिष्क में दबाव डालते हैं। ब्रेन ट्यूमर का निदान फिजिकल टेस्ट के साथ शुरू किया जाता है, जहां पहले मरीज से बीमारी के पारिवारिक इतिहास के बारे में पूछा जाता है। फिजिकल टेस्ट के बाद कुछ अन्य जांचों की सलाह दी जाती है जैसे कि एमआरआई, सीटी स्कैन आदि जांचें करवाते हैं।
ब्रेन ट्यूमर के इलाज में विभिन्न प्रकार की मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं शामिल हो चुकी हैं। एंडोस्कोपिक सर्जरी भी इसी प्रकार की सर्जरी है जो मुश्किल से मुश्किल ब्रेन ट्यूमर के इलाज में कारगर साबित हुई है। इसमें एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है जिसके छोर पर एक कैमरा लगा होता है। यह कैमरा ट्यूमर को ढूंढ़कर इलाज करने में मदद करता है। अच्छी बात यह है कि इस प्रक्रिया में मस्तिष्क के स्वस्थ भाग को नुकसान पहुंचाए ही ट्यूमर को बाहर कर दिया जाता है। कई मुश्किल मामलों में बेहतर परिणामों के लिए इसे रोबोटिक साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी के साथ इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार ट्यूमर के अतिरिक्त छोटे टुकड़ों को भी बाहर किया जा सकता है।
साइबरनाइफ एम6 एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें सर्जरी के बाद मरीज बहुत जल्दी रिकवर करता है। एम6 इलाज के दौरान 3डी इमेजिंग तकनीक ट्यूमर की सही जगह देखने में मदद करता है, जिससे इलाज आसानी से सफल हो पाता है। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार के चीरे की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे मरीज पर कोई घाव नहीं होने के कारण वह सर्जरी के बाद जल्दी रिकवर करता है जबकि सर्जरी की पुरानी तकनीक में मरीज को कई समस्याएं होती हैं।
Source: Health