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मीट के लिए अब जानवरों को मारना नहीं है ज़रूरी, प्रयोगशाला में तैयार किया जाएगा मांस, जानें कैसे

नई दिल्ली। क्या आपको पता है मांस के लिए हर साल अरबों जानवरों को मार दिया जाता है। अगर मीट के लिए इसी तरह जानवरों की हत्या की जाती रही तो साल 2050 तक हम मांस की ज़रुरत को पूरा नहीं कर पाएंगे। आयने वाले वर्षों में होने वाली इस दिक्कत को लेकर आईआईटी गुवाहाटी के कुछ शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मांस तैयार किया है।

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लैब में तैयार किया गया ये मांस पोषक होने के साथ-साथ जानवरों के साथ हो रही क्रूरता पर भी रोक लगाएगा। बायोमैटेरियल्स एंड टिश्यू इंजीनियरिंग लैबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने मीट के अलग तरीके से उत्पाद की नई तकनीक विकसित की है।

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उनका ऐसा करने के पीछे का मकसद पर्यावरण, पशुओं को बचाना है। बता दें कि इस तकनीक को विकसित करने के बाद इसे पेटेंट भी करा लिया गया है। इसे बनाने वाले अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि मीट बनाने का ये तरीका पूरी तरह से प्राकृतिक है। आईआईटी गुवाहाटी के डॉ. बिमान बी. मंडल का कहना है कि- ‘इस मीट का स्वाद कच्चे मांस जैसा रहेगा लेकिन इसे खाने वाले को ज़रूरी पोषक तत्व भी मिलते रहेंगे।’ बी. मंडल के मुताबिक, इसे बनाने में पशु सेरम, एंटीबायोटिक्स कर हार्मोन्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है।’

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Source: Science & Technology

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