बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा प्रभावित होती है त्वचा
मानसून में सबसे ज्यादा त्वचा प्रभावित होती है। शरीर की ढंग से सफाई न होने से त्वचा पर मैल की परत जमकर रोमछिद्रों को बंद कर देती है। इससे दाद व खुजली की समस्या होना आम होता है।
क्या है दाद
दाद शरीर के किसी भी हिस्से (पैर, पेट के निचले भाग में, गर्दन के पीछे, जांघों में व कान के पीछे) पर हो सकता है। यह आसानी से ठीक नहीं होता व एक बार ठीक होने के बाद इसके दोबारा होने की आशंका रहती है। खुजली का असर हाथ की अंगुलियों, घुटने और शरीर के दूसरे नरम स्थानों पर अधिक होता है। पहले छोटी फुंसियां उठती हैं जिनमें सामान्य खुजली होती है। बाद में दर्द भी होता है।
ये हैं मुख्य कारण
नहाने के बाद शरीर को बेहतर ढंग से न पोछने से जोड़ वाले अंग गीले रह जाते हैं। इसके अलावा गर्मी में बार-बार पसीना आने से भी इन अंगों में नमी रहती है व दाद बनने लगता है।
रक्त विकार से होती खुजली
खुजली एक संक्रामक रोग है जो रक्तमें खराबी से होता है। खुजली की समस्या के मरीज के कपड़े पहनने या मवाद लगने से यह रोग दूसरे लोगों में भी फैल सकता है। रात के समय ज्यादा खुजली होती है और ज्यादा खुजाने से जलन व दर्द की दिक्कत भी होती है। खुजली के रोगी को अपना पेट साफ रखना चाहिए।
घरेलू उपचार
दाद वाली जगह को मोटे कपड़े से हल्के से रगड़कर उस पर नीम का तेल लगा दें। ऐसा करने से थोड़ा दर्द होगा लेकिन दाद जड़ से खत्म हो जाएगा। इसके अलावा केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर दाद पर लगाने से भी फायदा होगा। ५ ग्रा. गंधक को दही में मिलाकर उसका लेप नहाने से पहले शरीर पर लगाना लाभदायक है।
Source: Health