fbpx

मां के नाक में लगे सिलेंडर का ऑक्सीजन हुआ खत्म, हालत बिगड़ी तो बेटा चीखा मार डालोगे क्या

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर-9 स्थित कोविड केयर सेंटर में मंगलवार की सुबह दाखिल एक बुजुर्ग महिला को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वह छटपटा रही थी। आसपास के बेड में दाखिल बीमार भी महिला की हालत देख रहे थे। इसी दौरान उनका बेटा वार्ड में पहुंचा। वह जोर-जोर से डॉक्टर और स्टाफ को आवाज देने लगा। उसने कहा कि मां के ऑक्सीजन का स्तर रात में 90 फीसदी था, जो घटकर 40 फीसदी तक आ गया है। ऑक्सीजन का दूसरा सिलेंडर क्यों नहीं लगाया जा रहा है। बीएसपी के सेक्टर-9 अस्पताल का सोशल मीडिया में वीडियो हुआ वायरल.

सिलेंडर हुआ खत्म तो लगा दिया यह
वह करीब जाकर देखा कि रात में जिस ऑक्सीजन सिलेंडर को लगाने कह कर वह गया था, वह सिलेंडर सुबह करीब 4 बजे खत्म हो चुका था। इसके बाद ऑक्सीजन सप्लाई के लिए दिए गए लाइन में लगे मास्क को बीमार के नाक पर लगा दिया गया है। अगर पाइप से सप्लाई सही रहती, तो यहां हर बेड में सिलेंडर अलग से लगाने की जरूरत ही नहीं थी।

मां की हालत देख चीखा
मां की बिगड़ती हालत देख वह मौजूद कर्मचारियों को चीखकर आवाज देने लगा। कहा कि जल्दी दूसरा सिलेंडर लगाओ, नहीं तो वह बच नहीं पाएगी। इसके बाद मौजूद कर्मियों ने डॉक्टर से बात कर दूसरा सिलेंडर लगाया। ऑक्सीजन का स्तर अधिक गिर जाने की वजह से बुजुर्ग को सेक्टर-9 के आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया।

पाइप लाइन से नहीं पहुंच रहा ऑक्सीजन फिर क्यों लगा रहे मरीजों को
यहां बड़ा सवाल उठता है कि प्रबंधन का कहना है कि हर बेड के साथ दो ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है। जब सिलेंडर की व्यवस्था की गई है, तब जिस पाइप लाइन से ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा, उसे मरीजों को क्यों लगाया जा रहा है।

यह कहा वार्ड के मरीजों व रिश्तेदारों ने
सेक्टर-9 के कोविड वार्ड में दाखिल मरीजों ने बताया कि यहां भीतर वार्ड तक कोई डॉक्टर नहीं आते। नर्स वगैरह के भरोसे छोड़ दिया गया है। कोरोना वायरस के डर से नर्स वगैरह भी करीब आने से कतराते हैं। अगर किसी मरीज को कोरोना छोड़कर दूसरी तकलीफ हो गई तो बिना इलाज के ही वह चला जाएगा। व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए। कम से कम डॉक्टर आकर हर मरीज का फीवर, ऑक्सीजन लेवल, मरीज को दूसरी कोई बीमारी है क्या। इस पर नजर रखे।

ऑक्सीजन है अहम
कोरोना पीडि़त के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर जाता है इसके बाद भी वह सामान्य नजर आता है। अपने करीबी लोगों से आराम से बातें करता रहता है। यह अवस्था मरीज की मौत का कारण बन सकती है। एक स्वस्थ इंसान में कम से कम ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसदी होता है लेकिन कोरोना के जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें यह स्तर 70 से 80 फीसदी है। कुछ में तो यह 50 फीसदी से भी कम हो जाता है। ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन का स्तर घट रहा है और रिएक्शन के तौर पर कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। यह स्थिति काफी घातक है। फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन आसानी से रक्त में नहीं मिल पाती है और यह जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसी हालत में मरीज को स्टेबल करना चिकित्सकों के लिए चुनौती साबित हो रहा है।

कोविड सेंटर में पहुंच रहा ऑक्सीजन सिलेंडर
सेक्टर-9 के कोविड केयर सेंटर में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंच रहा है। गेट के बाहर और भीतर में पर्याप्त मात्रा में सिलेंडर रखा गया है। मरीजों को लगाए गए सिलेंडर के खत्म हो जाने के बाद उसे बदलने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वर्तमान में यहां एक या दो बेड छोड़कर शेष सभी में मरीज मौजूद हैं।

हर बेड पर दो सिलेंडर
बीएसपी के जनसंपर्क विभाग के महाप्रबंधक का कहना है कि बीएसपी के सेक्टर-9 स्थित कोविड सेंटर के विभिन्न वार्डों में पाइप लाइन से ऑक्सीजन पहुंचाने के साथ ही चिंहीत वार्डों में पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर की भी व्यवस्था की गई है। इसमें सेक्टर-9 के कोविड सेंटर चेस्ट वार्ड के ऊपर वाला वार्ड भी शामिल है। प्रत्येक बेड के पास दो-दो ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए गए हैं। इसे बदलने के लिए इन वार्डों में पर्याप्त मानव संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं।



Source: Education