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राजस्थान के इस जिले में 12 हजार से अधिक कोरोना मरीज ठीक हो चुके, सैकड़ों लोग प्लाज़्मा देने को तैयार, लेकिन सरकार शुरू नहीं कर रही व्यवस्था

अलवर. प्रदेश की राजधानी जयपुर में करीब तीन महीने पहले ही प्लाज्मा से कोरोना संक्रमितों का इलाज शुरू हो गया था लेकिन, अलवर जिले में अब तक कम्पोनेंट फैसेलिटी चालू नहीं की गई। जिसके कारण यहां प्लाज्मा से कोरोना मरीजों को इलाज नहीं मिल सका है। जबकि कोरोना संक्रमण के मामले में अलवर जिला अग्रणी जिलों में शामिल है। मतलब जयपुर व जोधपुर के बाद यहां सबसे अधिक 13 हजार से अधिक कोरोना के मरीज आ चुके हैं। जिनमें से 12 हजार 800 से अधिक ठीक हो चुके हैं। उनमें से सैकड़ों स्वस्थ हो चुके लोग प्लाज्मा दान करने को तैयार हैं लेकिन, यहां कोई इंतजाम नहीं है।

कम्पोनेंट फैसेलिटी पर करीब 30 लाख रुपए का खर्च

कम्पोनेंट फैसेलिटी शुरू करने पर बहुत अधिक खर्च भी नहीं है। करीब 40 से 50 लाख रुपए में यह शुरू की जा सकती है। ऐसा होने पर कोरोना के अधिक गंभीर मरीजों को स्वस्थ हो चुके व्यक्ति का प्लाज्मा चढ़ाने से ठीक किया जा सकता है। शुरूआत में यह सुविधा शुरू करने को लेकर सरकार ने भी रुचि ली। जिला अस्पताल प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर भी सरकार को भेजा लेकिन, अब तक कोई बजट जारी नहीं किया गया है। जबकि प्रस्ताव भेजे हुए करीब डेढ़ माह से अधिक समय हो चुका है।

केवल रमेडिसिवियर इंजेक्शन की व्यवस्था

इस समय जिला स्तर पर कोरोना के गंभीर मरीजों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए केवल रमेडिसिवियर इंजेक्शन लगाने की व्यवस्था है। इसके अलावा टॉक्लिजुमैब इंजेक्शन लगाने और छह तरह की जांच शुरू नहीं हो सकी। जो कि बहुत अधिक गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जरूरी होता है। इसी तरह प्लाज्मा से भी मरीजों का इलाज होता है। मतलब अलवर में रमेडिसिवियर इंजेक्शन से मरीज को कम राहत है तो फिर उसे जयपुर रैफर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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प्रस्ताव भेजा जा चुका

अलवर के स्तर से प्रस्ताव बनाकर उच्च स्तर पर जा चुका है। वहां से कोई गाइडलाइन आएगी तो उसके अनुसार आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा। फिलहाल कम्पोनेंट फैसेलिटी शुरू करने के लिए कोई बजट नहीं मिला है।

डॉ. सुनील चौहान, पीएमओ, अलवर



Source: Education

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