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Ashwathama – इस देवयानी सरोवर में अश्वथामा ने की थी तपस्या

सांभरलेक। कस्बे के पौराणिक काल के तीर्थ स्थल देवयानी सरोवर पर बने स्मारक देख-रेख के अभाव मेें जीर्णशीर्ण होते जा रहे है। यहां अश्वथामा ने महाभारत युद्ध के उपरान्त किसी बिमारी से छुटकारा पाने के लिए तपस्या की थी और देवयानी सरोवर में स्नान किया था। यहां पर आज भी अश्वथामा का एक चबूतरा बना है, जिस पर बैठ कर उन्होंने तपस्या की थी।
यहां की देवयानी सरोवर पर कई ऐसे स्मारक है जो कि सैकड़ों वर्षों पुराने है, लेकिन अनदेखी की शिकार हो रहे हैं, अगर समय रहते अनपर ध्यान नहीं दिया गया तो इनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। सरकार के द्वारा इसके रख रखाव पर तो खर्चा किया गया था, लेकिन इसमें पानी आने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिससे देवयानी सरोवर में काफी कम पानी रह गया है और इसमें पानी के लिए सरकार ने कोई योजना भी नहीं बनाई है।

एक शीशमहल भी बना हुआ
इसी प्रकार से एक शीशमहल भी बना हुआ है जो कि कहा जाता है कि आमेर के राजाओं के द्वारा बनवाया गया था और वह एक कला का अद्भूत नजारा पेश करता है। उसके पत्थरों पर जो नक्काशी है वह भी काफी लाजवाब है, लेकिन देखरेख के अभाव में जर्जर हो रही है। इस पर भी सरकार ने काफी रुपए खर्च कर इसमें लाइटे आदि लगवाई थी और इसकी मरम्मत भी करवाई थी तथा इसकी सुन्दरता का निखारने का कार्य किया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में खराब होकर असामाजिक तत्वों द्वारा काफी गंदगी कर रखी है।

मंदिर-घाट भी जर्जर
सरोवर के चारों ओर कई देवी-देवताओं के मंदिर और प्राचीन घाट बने है जो कि सार संभाल नहीं होने के कारण टूट फूट कर जर्जर होते जा रहे है। यहां पर राज्य सरकार के द्वारा देवयानी सरोवर के जीर्णोद्धार के लिए बड़ी राशि स्वीकृत की थी, लेकिन उस कार्य पर किसी अधिकारी के ध्यान नहीं दिए जाने के कारण वहां पर जो कार्य हो रहा है, वह काफी निम्न स्तर का हो रहा हंै।

जनप्रतिनिधि भी नहीं दे रहे ध्यान
लोगों का कहना है कि पूर्व में भी वसुंधरा सरकार के समय में करोड़ों रुपए की लागत से इस प्रकार से जीर्णोद्धार कार्य करवाए गए थे, लेकिन उनका कोई फायदा नहीं हुआ और कुछ ही समय में देवयानी के घाट व अन्य स्थान जहां पर मरम्मत कार्य हुआ था अपनी पूर्व की स्थिति में आ गए और इस बार भी इस कार्य पर ना तो सरकारी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं और ना ही यहां के जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं। यहां जो भी कार्य करवाया गया, वह गुणवत्ता युक्त नहीं था, जिससे कुछ ही समय में करोड़ो रुपए के कार्य खराब हो गए है।



Source: Education

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