शिक्षा महकमा : मंत्रालयिक कर्मचारियों के पदों पर कटौती की तलवार! कांग्रेस भी भाजपा सरकार के ढर्रे पर

ajmer अजमेर. भाजपा राज में शिक्षा विभाग के सुदृढ़ीकरण के नाम पर की गई कवायद के दौरान शिक्षा विभाग के दफ्तरों में कर्मचारियों के पदों में कटौती के बाद अब मौजूदा सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की तीन दिन पूर्व जयपुर मेें आयोजित बैठक में फिर से शिक्षा विभाग में मंत्रालयिक कर्मचारियों के पदों की कटौती के प्रस्ताव तैयार कर लिए गए हैं।
करीब ढाई साल पहले भाजपा राज में विभाग में फील्ड के दफ्तरों का पुनर्गठन करने के नाम पर कर्मचारियों के पदों की एकमुश्त कटौती से विभागीय कामकाज के बिगड़ते ढर्रे के बावजूद मौजूदा सरकार ने भी वही किया। 2 फरवरी को जयपुर में राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की प्रथम शासी बैठक में शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय कार्यालयों का ढांचा फिर से बदला जाना प्रस्तावित है। हालिया कवायद ने पूर्व में किए गए कार्यालयों के एकीकरण को ही सवालिया बना दिया है।
औचित्यहीन बताए दफ्तर
शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की अध्यक्षता में सचिवालय में आयोजित गवर्निंग कौंसिल की बैठक में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी (सीडीईओ) एवं एडीपीसी के दो अलग-अलग कार्यालयों को औचित्यहीन बताया गया। इन दोनों ही कार्यालयों को उपनिदेशक स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशन में एक ही स्थान पर कार्य करने की सिफारिश की गई।
प्रभावी नहीं सीडीईओ का पद
बैठक के एजेंडा विवरण में स्पष्ट किया गया कि समान प्रकृति के कार्य के लिए सीडीईओ का पद प्रभावी नहीं हो पा रहा। इसके अलावा दो दफ्तरों के पृथक-पृथक प्रबंधन के कारण परियोजना का वित्तीय भार भी बढ़ रहा है।
166 पदों की कटौती का प्रस्ताव
शासी परिषद की बैठक में शिक्षा विभाग में 166 पदों की कटौती प्रस्तावित की गई है। जिनमें मंत्रालयिक संवर्ग के 130 व लेखा संवर्ग के 33 पद शामिल हैं। मंत्रालयिक संवर्ग के पदों में संस्थापन अधिकारी के 33, प्रशासनिक अधिकारी के 48 सहायक प्रशासनिक अधिकारी के 47 व स्टोनोग्राफर के 2 पद शामिल हैं। जबकि कनिष्ठ लेखाकार के 33 पदों की कटौती की तैयारी की जा रही है।
पद कटौती के लिए ऐसे तर्क
गवर्निंग कौंसिल की बैठक में प्रदेश भर के कार्यालयों में की जाने वाली पदों की कटौती के लिए पदवार औचित्य भी अंकित किया गया है। जिसमें नियुक्ति, वरिष्ठता निर्धारण, स्थानांतरण, चयनित वेतनमान, वेतन स्थिरीकरण व संस्थापन संबंधी कामकाज परियोजना के अंतर्गत नहीं होने से इनकी एडीपीसी दफ्तरों में उपयोगिता नहीं बताई गई है। मालूम हो कि बीते दशक(2011-2020) में जहां प्रदेश में स्कूलों समेत संस्था प्रधानों एवं शिक्षकों के पदों में ढाई सौ फीसदी से अधिक तक का इजाफा हुआ, वहीं विभागीय कामकाज को अंजाम देने वाले मंत्रालयिक कर्मचारियों की वर्किंंग फोर्स में 67 फीसदी तक की कमी कर दी गई।
Source: Education