छह साल भी नहीं चला पचास वर्ष की गारंटी वाला रैन बसेरा
बिलाड़ा (जोधपुर). करीब छह वर्ष पहले कस्बे के मुख्य बस स्टैंड पर नगर पालिका प्रशासन द्वारा 26 लाख की लागत से रैन बसेरा भवन बनवाया गया। जो 6 वर्ष भी पूरे नहीं कर पाया और अब जर्जर अवस्था में पहुंच गया है । इस भवन के बीच का एक बड़ा हिस्सा जमीन में धस चुका है और दीवारें फट गई है। इस वर्ष पालिका प्रशासन को मजबूरन रैन बसेरा टेंट में लगाना पड़ा।
जिस नवनिर्मित भवन का 28 जून 2015 को गाजों- बाजों के साथ तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष एवं उनके पार्षदों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में लोकार्पण हुआ और दावा किया जा रहा था कि 50 वर्ष तक भी जोधपुरी पत्थर से बने इस भवन का कुछ भी बिगडऩे वाला नहीं है। लेकिन यह भवन 6 वर्ष भी नहीं निकाल पाया और एक बड़ा हिस्सा जमीन में धंस चुका है, दीवारें फट चुकी है।
अध्यक्ष ने देखा तो आंखें फटी की फटी रह गई
पालिकाध्यक्ष रूपसिंह परिहार, अधिशासी अधिकारी नरेंद्र काबा ने मंगलवार को यहां टेंट में बनाए गए अस्थाई रैन बसेरा भवन का अवलोकन किया, उसी दौरान पक्के रैन बसेरा भवन का भी अवलोकन किया तो कनिष्ठ अभियंता विजय कुमार ने इन्हें अंदर जाने से रोक दिया। बावजूद रैन बसेरे की स्थिति को जांचने के लिए पालिकाध्यक्ष जैसे ही आगे बढ़े तो धंसे हुए भवन, फटी हुई दीवारें और चटकी हुई पट्टियों को देखकर इस जर्जर भवन के ताला लगवा दिया।
गंदे पानी के नाले पर बना दिया भवन
बिंजवाडिय़ा के बरसाती नाले के पानी के साथ कस्बे की नालियों का गंदा पानी इस भवन के एक बड़े हिस्से की जगह से निकलता था। इस नाले को तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों ने रेत से भरवा कर उस स्थान पर रैन बसेरा भवन बनवा दिया। इस नए रैन बसेरा भवन का एक बड़ा हिस्सा पहली बारिश के दौर में ही धंस गया था जिसकी जानकारी किसी को ना हो इसके लिए तत्कालीन पालिका अध्यक्ष ने मुख्य दरवाजे पर ताला लगवा दिया, लेकिन अब वास्तविक स्थिति उजागर हो चुकी है।
इन्होंने कहा
मैंने कार्यभार संभालते ही रैन बसेरे की स्थिति देखी, यह कभी भी गिर सकता है और हादसे की आशंका को लेकर आज पालिका अध्यक्ष की सहमति से ताला लगवा दिया है। इस वर्ष टेंट में रैन बसेरा चलाया जा रहा है।
-नरेंद्र काबा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका बिलाड़ा
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